Written By : Amisha Gupta
दुनिया के सबसे साफ शहरों में शुमार कोपेनहेगन ने अपनी बेहतरीन वायु गुणवत्ता और स्वच्छता के लिए वैश्विक स्तर पर पहचान बनाई है।
कोपेनहेगन की इस सफलता के पीछे एक मजबूत नीति, तकनीकी नवाचार और नागरिकों की जागरूकता है, जो दिल्ली जैसे प्रदूषित शहरों के लिए आदर्श बन सकती है। अगर दिल्ली को भी कोपेनहेगन जैसी स्वच्छता और बेहतरीन एयर क्वालिटी की दिशा में आगे बढ़ना है, तो उसे कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। कोपेनहेगन ने प्रमुख रूप से कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल किया है। यहां 100% नवीनीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य रखा गया है और शहर की 80% से अधिक ऊर्जा सौर और पवन ऊर्जा से प्राप्त की जाती है। इस नीति को अपनाकर दिल्ली में भी प्रदूषण के मुख्य स्रोतों—फॉसिल फ्यूल्स—का उपयोग कम किया जा सकता है, जिससे एयर क्वालिटी में सुधार होगा।
इसके अलावा, कोपेनहेगन में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया गया है, जिससे निजी वाहन कम हो गए हैं और सड़कें कम प्रदूषित हुई हैं।
दिल्ली में भी अगर बेहतर सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क और साइकलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा दिया जाए, तो यह निजी वाहनों पर निर्भरता घटा सकता है और प्रदूषण कम हो सकता है।
दिल्ली में भी कोपेनहेगन जैसी सख्त पर्यावरणीय नीतियों की जरूरत है, जैसे प्लास्टिक पर प्रतिबंध, कचरे का प्रबंधन और ग्रीन स्पेस का विस्तार। इसके साथ ही, नागरिकों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना भी बेहद जरूरी है, ताकि वे स्वच्छता में अपनी भूमिका निभा सकें। अगर दिल्ली इन उपायों को गंभीरता से लागू करता है, तो यहां की एयर क्वालिटी में सुधार हो सकता है और यह शहर कोपेनहेगन की तरह साफ और स्वस्थ बन सकता है।