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हौसला बुलंद हो तो कुछ करना मुश्किल नहीं, जाह्नवी झा ने किया नाम रौशन

कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों। सही मायने में इरादे नेक और मंसूबा आसमानी हो, तो पहाड़ खोदकर भी दूध की नदियां बहाई जा सकती है।
जैसा कि आपको पता है दिनांक 12 जून को ऐम्स 2019 का रिजल्ट प्रकाशित हो चुका है और पिछले वर्षो की भांति इस वर्ष भी बायोलॉजी एट फिंगर्टिप्स का जलवा बरकरार रहा। इस वर्ष बायोलॉजी एट फिंगर्टिप्स की छात्रा जाह्नवी झा क्रमांक संख्या 9184280 ने पूरे उत्तर बिहार में सर्वाधिक 99.35 परसेंटाइल अंक प्राप्त किए। ऑल इंडिया रैंक 2216 के साथ ही एक नया कीर्तिमान स्थापित किया और बायोलॉजी एट फिंगर्टिप्स का नाम गौरवान्वित किया।



 

बायोलॉजी एट फिंगर्टिप्स के निदेशक डॉ एम मनोहर ने बताया कि ‘जाह्नवी झा अभी तक के पूरे मेरे करियर में सर्वश्रेष्ठ छात्रा बन के सामने आई है और इसके लिए पूरा बायोलॉजी फिंगर्टिप्स संस्थान एवं मैं स्वयं गौरवान्वित महसूस करता हूं।’

मीडिया से बात करते हुए डॉ एम मनोहर ने बताया किसी भी छात्र का सफलता का श्रेय सिर्फ और सिर्फ उस छात्र को जाता है क्योंकि शिक्षक तो सिर्फ मार्गदर्शक के रूप में काम करते हैं असल परिश्रम तो उस छात्र का है जो इस मुकाम तक पहुंचते हैं और शिक्षक द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलते हैं। भले ही रास्ता कितना भी कठिन हो मंजिलें मिलती ही है और इसी बात को चरितार्थ कर दिखाया है जाह्नवी झा ने।

लक्ष्मी सागर निवासी जाह्नवी झा एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं इनकी माता अर्चना झा एक निजी विद्यालय में शिक्षिका हैं और पिता दिनेश झा सामान्य व्यवसाय करते हैं। इन सारी कठिनाइयों के बावजूद जाह्नवी झा ने अपने हौसले कभी भी टूटने नहीं दिए और परिश्रम के साथ अपनी मंजिल को हासिल किया। इस पूरी सफलता का श्रेय जाह्नवी ने अपने माता पिता और बायोलॉजी फिंगर्टिप्स के निदेशक डॉ एम मनोहर को दिया।

“कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक सिक्का तो तबियत से उछालो यारो” वाकई जाह्नवी झा ने इस बात को पूरी तरीके से चरितार्थ कर दिखाया है।

मीडिया से बात करते हुए जहान्वी ने बताया कि ‘तैयारी के दौरान मेरी मुलाकात बहुत सारे शिक्षकों से हुई लेकिन बायोलॉजी एट फिंगर्टिप्स के निदेशक डॉक्टर मनोहर सर ने जो मेरे पर यकीन दिखाया और साथ ही साथ जो उन्होंने अध्ययन में मदद किया। इसके लिए मैं सर की शुक्रगुजार हूं और इसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती। सर हमेशा मेरे साथ एक अच्छे दोस्त की तरह मोटिवेट करते रहे और जरूरत पड़ने पर अच्छी अच्छी पुस्तकें भी उपलब्ध करवाई जो मेरे इस सफलता के मुख्य बिंदु हैं।’

आने वाले छात्रों के लिए जाह्नवी ने यह टिप्स दिया कि अगर घर पर 8 से 10 घंटे का स्वाध्याय किया जाए और नियमित रूप से क्वेश्चन प्रैक्टिस किया जाए साथ ही साथ नियत समय पर टेस्ट दिया जाए तो कुछ भी संभव है।
जहान्वी ने आगे बताया कि एनसीईआरटी किताब का पूर्ण अध्ययन आपकी सफलता तय करती है जो कि सबसे महत्वपूर्ण है।

इस साल ऐम्स 2019 में लगभग 3 लाख 38 हजार बच्चे बच्चों ने परीक्षा दिया था और इसमें यह रैंक वाकई काबिले तारीफ है।सभी सफल छात्रों को भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए डॉ एम मनोहर ने भविष्य में एक सफल डॉक्टर बनने की शुभकामना दी और आने वाली जिंदगी को और बेहतरीन करने के संदेश दिए।

दरभंगा से वरुण ठाकुर

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