पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी की आत्मकथा ‘द प्रेसिडेंसियल ईयर्स 2012-2017’ में उन्होंने ना सिर्फ अपने राजनीतिक अनुभवों को पाठकों के साथ साझा किया है बल्कि देश की सियासत से कई अहम पहलुओं से भी पर्दा हटाया है। किताब में प्रणब मुखर्जी ने लिखा कि कांग्रेस का अपने आलाकमान की कमजोरी को वक्त पर ना भांप पाना भी 2014 लोकसभा चुनाव में बड़ी हार की वजह बना था।
प्रणब मुखर्जी ने अपनी इस किताब में पीएम मोदी को लेकर भी कई बातें लिखी हैं. उन्होंने लिखा कि मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल में संसद को सुचारू रूप से चलाने में विफल रही। इसकी वजह सरकार का अहंकार और अकुशलता है। प्रणब मुखर्जी ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा करने से पहले उनके साथ इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की थी, लेकिन इससे उन्हें हैरानी नहीं हुई क्योंकि ऐसी घोषणा के लिए आकस्मिकता जरूरी है।
2014 के लोकसभा चुनाव को लेकर भी प्रणब मुखर्जी ने अपने संस्मरण में लिखा है कि मतगणना वाले दिन मैंने अपने सहायक को निर्देश दिया था कि मुझे हर आधे घंटे पर रुझानों पर अपडेट दिया जाए। उस दिन आए नतीजों से इस बात की राहत मिली कि निर्णायक जनादेश आया। लेकिन किसी वक्त जिस पार्टी का मैं हिस्सा रहा था उसके कमजोर प्रदर्शन से मुझे निराशा भी हुई थी।
उन्होंने लिखा कि ये यकीन करना मुश्किल था कि कांग्रेस सिर्फ 44 सीटों पर ही सिमट गई है। कांग्रेस एक राष्ट्रीय संस्था है जो लोगों की जिंदगियों से जुड़ी रही है।
प्रणब मुखर्जी ने लिखा कि मुझे लगता है कि पार्टी अपने करिश्माई नेतृत्व के खत्म होने की पहचान करने में नाकाम रही। दुखद है कि पंडित नेहरू ने जो मिसाल पेश की थी अब वैसे अद्भुत नेता नहीं हैं, जिससे ये व्यवस्था औसत लोगों की सरकार बन गयी।