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हम भारतीयों की मॉर्निंग तब तक गुड नहीं होती जब तक सुबह की शुरुवात एक कप चाय की प्याली से ना हो, चाय हमारी ज़िन्दगी में अपनी ख़ास जगह बना चुकी है लेकिन क्या हम ये जानते हैं चाय की उत्पत्ति कहां से हुई है ? और क्या है चाय का इतिहास ?
आज से हजारों साल पहले भारत में बौद्ध भिक्षुओं ने चाय का इस्तेमाल औषधीय प्रयोजन के लिए किया था, बता दें चाय पीने का इतिहास एक बौद्ध भिक्षु के साथ शुरू हुआ था। इन्होंने सात साल की नींद को त्यागकर जीवन के सत्य को जाना और बुद्ध की शिक्षाओं पर विचार करने का फैसला किया।
जब ये चिंतन के अपने पांचवें साल में थे तो इन्होंने बुश के कुछ पत्ते लिये और उन्हें चबाना शुरू कर दिया। इन पत्तियों के कारण वें पुनर्जीवित रहे और इन पत्तों ने उनको जागाए रखने में भी सहयोग किया।
इस तरह से जब भी उन्हें नींद महसूस होती थी, वो इस एक ही प्रक्रिया को दोहराते रहते थे।आपको जानकर हैरानी होगी की ये पत्ते कुछ और नहीं थे बल्कि जंगली चाय के पौधे की पत्तियाँ थी। जब स्थानीय लोगों को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने भी धीरे धीरे इस जंगली चाय के पौधे की पत्तियों को चबाना शुरू कर दिया और इस तरह से चाय भारत में प्रचलित हो गयी।
इसके बाद भारत में चाय का उत्पादन भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शुरू किया। 19 वीं सदी के अंत में असम में चाय की खेती का पदभार संभालने के बाद, पहला चाय का बागान भीं ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा ही शुरू किया गया था।
ब्रिटिश कंपनियों के बाद जब भारत ने इसमें हाथ लगाया तो चाय ने अपनी अलग पहचना कमा ली। धीरे धीरे करके इसकी खेती बढ़ती गयी और आज का दिन ऐसा है कि भारत दुनिया में चाय का सबसे बड़ा उत्पादक है।
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चलिए जानते हैं चाय के प्रसिद्ध स्थानों के बारे में:-
1.असम:-यह सबसे बड़ी चाय का अनुसंधान केन्द्र है, जो की जोरहाट में टोकलाई पर स्थित है और चाय के अनुसंधान एसोसिएशन द्वारा प्रबंधित किया जाता है।केवल असम एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ चाय समतल भूमि पर उगायी जाती है। असम की चाय अपने विशिष्ट स्वाद के लिए प्रसिद्ध है।
2. दार्जिलिंग: 1841 से दार्जिलिंग चीनी किस्मो के चाय के पौधे ऊगा रहा है। यहाँ से चाय अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत उच्च कीमत पर बेची जाती है। इसका स्वाद मुस्केटल होने के कारण इसको कहीं भी उत्पादन नहीं किया सकता है।
3. डुआर्स और तराई: डुआर्स की चाय साफ़, काली और बड़ी गिनती में भारी तथा ताजा वर्जिन स्वाद की होती है जबकि तराई चाय मसालेदार और थोड़ा मीठे स्वाद की होती है।
4. काँगड़ा: हिमाचल प्रदेश में काँगड़ा जिला प्रसिद्ध है, मूल रूप से यह क्षेत्र हरी चाय और काली चाय के लिए जाना जाता है।
जानते हैं चाय कितने प्रकार की होती हैं:-
क्या आप जानते हैं कि दुनिया में चाय के तीन मुख्य किस्में हैं – भारत चाय (India tea), चीनी चाय (China tea) और संकर चाय (hybrid tea)। इन चाय की किस्मो से ही चाय के विभिन्न प्रकार बनते हैं जैसे – हरी चाय, सफेद चाय, हर्बल चाय, ग्रीन टी, काली चाय ओलोंग चाय।