सेंट्रल डेस्क, फलक इक़बाल :-देवी भागवत के अनुसार वर्ष में चार बार नवरात्रि आते हैं। चैत्र या वासंतिक नवरात्रि, आश्विन या शारदीय नवरात्रि, माघ शुक्ल पक्ष नवरात्रि और आषाढ़ शुक्ल पक्ष नवरात्रि। इनमें से चैत्र और शारदीय नवरात्रि, वो दो नवरात्रि हैं जो सामान्य जन के बीच प्रचलित हैं और सभी इन्हें मनाते भी हैं। इसके अलावा साल में दो बार गुप्त नवरात्रि भी आती हैं, माघ शुक्ल पक्ष में और आषाढ़ शुक्ल पक्ष में। चारों ही नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इसके साथ गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना भी की जाती है। इस बार माघ माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 05 फरवरी 2019, मंगलवार से लेकर 14 फरवरी 2019, गुरुवार तक रहेगी।
तंत्र विद्या की साधना के फायदे
गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक क्रियाों, शक्ति साधनाआो, और महाकाल की आराधना आदि से जुड़े लोग विशेष रूप से पूजा करते हैं। इस दौरान साधक देवी भगवती की बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं। हिन्दू धर्म में नवरात्रि मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। नवरात्र के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा की जाती है। इस नवरात्रि के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती है।
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इसमें भी होती है घट स्थापना
मान्यतानुसार गुप्त नवरात्रि के दौरान अन्य नवरात्रि की तरह ही पूजा की जाती है। इसके लिए नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना की जाती है। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ इस नवरात्रि व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
जानिए कौन है गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां
नवरात्रि की तरह गुप्त नवरात्र के दौरान भी तंत्र साधना के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी जैसी नौ देवियों की पूजा करते हैं।