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उत्तर प्रदेश : चित्रकूट-बांदा क्षेत्र के किसानों को सरकार से उम्मीद, बंजर भूमि को मिलें सिंचाई सुविधाएं

प्रयागराज से चित्रकूट की तरफ जाने वाले नेशनल हाईवे-35 पर बमुश्किल 20 किलोमीटर आगे बढ़ते ही आपका सामना हरे-भरे खेतों की जगह सूखे पड़े बंजर क्षेत्र से होने लगता है। बीच-बीच में इक्का-दुक्का खेतों में सरसों के फूल खिले जरूर दिखाई पड़ते हैं, लेकिन ज्यादातर क्षेत्र सूखा और बंजर है।

उत्तर प्रदेश : चित्रकूट-बांदा क्षेत्र के किसानों को सरकार से उम्मीद, बंजर भूमि को मिलें सिंचाई सुविधाएं

मुख्य खाद्यान्न गेहूं के खेत बहुत कम दिखाई देते हैं। स्थानीय निवासी बताते हैं कि सिंचाई सुविधाओं के अभाव में बेहद कम भू-भाग पर ही गेहूं-चावल जैसी मुख्य खाद्यान्न फसल का उत्पादन हो पाता है। ज्यादातर क्षेत्र में सरसों-चना जैसी कम पानी वाली फसलों की ही पैदावार की जाती है। लोगों को उम्मीद है कि सरकार क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं का विकास करेगी तो क्षेत्र की किस्मत बदल सकेगी।

आय के अन्य साधनों के अभाव में स्थानीय लोगों को जीवनयापन करने के लिए भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ज्यादातर युवाओं को रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन करना पड़ता है।

गरीबी और शिक्षा के कम अवसर होने के कारण कम शिक्षित युवा शहरों में भी मेहनत-मजदूरी करने का ही काम करते हैं। खेती का कामकाज न होने और पेयजल सुविधाओं में कमी के कारण गर्मी के मौसम में यह पलायन बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।

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स्थानीय किसान हनुमान सिंह सोलंकी ने अमर उजाला को बताया कि क्षेत्र के बेहद सीमित भू-भाग पर खेती होती है। इसमें भी किसानों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सरकार ने छोटी-छोटी कुछ नहरों का विकास किया है, जिससे कुछ क्षेत्रों में खेती की स्थिति सुधर रही है, लेकिन ज्यादातर क्षेत्र अभी भी वर्षा पर ही आधारित हैं।


अन्ना प्रथा से खेती बर्बाद


अन्ना प्रथा में जानवरों को खुला छोड़ देने से किसानों की खेती बर्बाद हो रही है। दस-बीस से लेकर पचासों आवारा जानवरों के झुंड जिस भी खेत का रुख कर लेते हैं, उसमें खेती चौपट ही हो जाती है। किसानों की सारी लागत कुछ ही देर में नष्ट हो जाती है। इन आवारा जानवरों का झुंड किसानों को इतना डराने लगा है कि लोग अपने खेत परती तक छोड़ दे रहे हैं।

उन्हें लागत लगाकर खेत जानवरों के लिए खुला छोड़ने से ज्यादा बेहतर लग रहा है कि वे खेत परती छोड़ दें और मजदूरी कर परिवार का पेट पालें।

बांदा क्षेत्र के किसान अवनीश साहू ने कहा कि यह देश और किसानों के लिए दुर्भाग्य की बात है कि उन्हें आवारा पशुओं के कारण खेत को परती छोड़ देना पड़ रहा है।

इन पशुओं के लिए सरकार ने जगह-जगह पर पशुपालन केंद्र या गोशाला बाड़ बना रखे हैं और पशुओं को पालने के लिए फंड भी दिया जाता है, लेकिन उनका आरोप है कि फंड लेने के बाद भी जानवरों को खुला छोड़ दिया जाता है।

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नहीं मिलती खाद


मौजा क्षेत्र के निवासी किसान द्वारिका प्रसाद ने बताया कि खाद लेने के लिए किसानों को भारी संघर्ष करना पड़ता है। किसानों को कृषक सेवा केंद्र पर सुबह चार-पांच बजे से लाइन में लग जाना पड़ता है। खाद के लिए लाइन में लगे हुए पूरा-पूरा दिन भूखा रहकर गुजरना पड़ता है,

लेकिन किसानों को खाद नहीं मिल पाती। उन्होंने कहा कि हर आधार कार्ड पर खेतों के अनुसार दो-तीन बोरी खाद मिलती है, लेकिन इसके लिए भी भारी संघर्ष करना पड़ता है।

कृषक सेवा केंद्रों पर 270 रुपये में 45 किलो यूरिया की बोरी मिल रही है। यही खाद खुले बाजार में 350 रुपये में हर समय उपलब्ध रहती है। केवल 80 रुपये प्रति बोरी की बचत के लिए किसानों को पूरे-पूरे दिन अधिकारियों की प्रतीक्षा करते हुए गुजारनी पड़ती है। संचार माध्यमों में परेशानी आ जाने से यह अवधि और अधिक बढ़ जाती है।

इन तमाम परेशानियों के बावजूद यहां किसान आंदोलन का कोई असर दिखाई नहीं देता। किसानों ने बताया कि यहां किसान आंदोलन का कोई असर नहीं था। कुछ किसान नेता राजनीति में आने की तैयारी अवश्य कर रहे हैं, लेकिन इस क्षेत्र में किसी भी किसान नेता को कोई बड़ी सफलता नहीं मिलने वाली है।


सरकार न बचाती तो लाखों लोग मर जाते

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इन तमाम परेशानियों के बावजूद यहां पर लोग सरकार से संतुष्ट दिखाई देते हैं। लोगों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने कोविड काल में बेहद शानदार काम किया है। सरकार ने घर-घर मुफ्त राशन पहुंचाने की योजना बेहद सफलतापूर्वक चलाई जिससे लोग अपनी जिंदगी बचा सके। यदि सरकार की यह मदद न मिली होती तो लाखों लोग भूख से मर जाते।

हालांकि, सरकार से संतुष्ट होने के बाद भी लोग अपने स्थानीय नेताओं से असंतुष्ट हैं। कई लोगों की राय है कि उनके यहां उम्मीदवारों का बदलाव कर दिया जाना चाहिए। समाजवादी पार्टी भी यहां मजबूती से चुनावी तैयारी करती दिखाई दे रही है।

भाजपा को उससे कड़ी टक्कर मिल सकती है। लोगों की उम्मीद है कि जो भी नई सरकार चुनकर आये, वह क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं का विकास करे जिससे क्षेत्र की किस्मत बदल सके। स्थानीय स्तर पर रोजगार विकसित करने को युवा सबसे ज्यादा अहमियत देते हैं।

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