Written By : Amisha Gupta
चंडीगढ़ में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर बेहद गंभीर हो चुका है, जो 427 तक पहुंच गया है।
यह स्थिति दिल्ली से भी बदतर है, जहां वायु प्रदूषण पहले से ही एक गंभीर समस्या बना हुआ है। चंडीगढ़ की हवा अब ‘गंभीर’ श्रेणी में मानी जा रही है, जिससे सांस लेने में परेशानी, आंखों में जलन, और फेफड़ों पर बुरा प्रभाव पड़ने का खतरा है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, ऐसी जहरीली हवा अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य सांस संबंधी बीमारियों को बढ़ा सकती है। चंडीगढ़ की इस गंभीर प्रदूषण स्थिति के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं, जिनमें पराली जलाने का प्रभाव, मौसम की स्थिति और हवा में बदलाव शामिल हैं। ठंड के मौसम में हवा की रफ्तार कम होने से प्रदूषक तत्व वातावरण में ठहर जाते हैं, जिससे वायु की गुणवत्ता और भी खराब हो जाती है।
आसपास के क्षेत्रों में पराली जलाने से भी चंडीगढ़ की वायु गुणवत्ता में गिरावट आई है, जो पंजाब और हरियाणा में हर साल सर्दियों के समय में बढ़ता है।
इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने नागरिकों को कम से कम घर से बाहर निकलने की सलाह दी है और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी जारी की है। संवेदनशील समूहों जैसे बच्चों, बुजुर्गों, और उन लोगों को जिन्हें पहले से सांस की समस्या है, उन्हें खास सतर्क रहने की आवश्यकता है। डॉक्टरों ने भी सुझाव दिया है कि लोग N95 मास्क पहनें और आवश्यक होने पर ही बाहर निकलें। इस बीच, चंडीगढ़ प्रशासन ने प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ ठोस उपायों पर भी विचार किया है। आने वाले दिनों में यदि हवा की गुणवत्ता में सुधार नहीं होता है तो निर्माण गतिविधियों और यातायात पर प्रतिबंध जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।