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डीएमआरसी की मदद से मिली दादा की आखिरी निशानी।

बीते बुधवार दिल्ली का यह मामला आपको भावुकता से सराबोर कर देगा हर किसी के लिए अपने चहेतो की आखिरी निशानी अनमोल होती है। किसी सख्स की आख़िरी निशानी को भले ही कितनी मुश्किल परिस्थति ही क्यों ना आ जाये फिर भी हम उस निशानी को छोड़ना नहीं चाहेंगे। क्योकि अहम् वजह होती उस आख़िरी निशानी से जुड़ी उस व्यक्ति की यादे। दरसल रोहिणी निवासी शुभ के पास भी उसके दादा की आखिरी निशानी एक छाता ही था। बुधवार को दिल्ली मेट्रो रेड लाइन पर सफर करते हुए उसका छाता ट्रेन में छूट गया।

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वह इतना भावुक हो गया कि उसने डीएमआरसी से छाता तलाशने की गुहार लगाई। डीएमआरसी ने बेहद गंभीरता से मामले को लिया और छाता खोज निकाला। बुधवार सुबह शुभ अरोड़ा करीब साढ़े 10 बजे ऑफिस के लिए रोहिणी बेस्ट मेट्रो स्टेशन से ट्रेन में सवार हुए थे। बारिश के कारण वह अपने दादा की आखिरी निशानी तौर पे मिले छाते को साथ ले आये थे। जब वह कश्मीरीगेट पहुंचे तो भीड़ में छाता ट्रेन में ही छूट गया और वह वापस ट्रेन में नहीं घुस पाए इस पर वह बेहद मायूस हो गए और उन्होंने ततकाल डीएमआरसी को ट्वीट कर लिखा वह छाता बेहद महत्पूर्ण है। उनके दादा की कोई निशानी उनके पास नहीं है। इस छाते से उनकी गहरी भावनाएं जुडी हुई है। इसलिए छाता गुम हो जाने से वे बेहद परेशान और मायूस है। करीब आधा घंटे के बाद सुबह 11 बजे जब डीएमआरसी द्वारा उन्हें वापस ट्वीट करके एक छाता मिलने की जानकारी तस्वीर के साथ दी तो वह छाता भी उनका ही निकला। डीएमआरसी के द्वारा ट्वीट के जरिये शुभ को यह बताया गया कि उनका छाता झिलमिल मेट्रो स्टेशन के कंट्रोल रूम में सुरक्षित है। यह सुनते शुभ भावुक हो गये उन्होंने डीएमआरसी की मदद के लिए दिल से घन्यवाद दिया।

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