Written By : Amisha Gupta
बिहार की महान लोकगायिका और “बिहार कोकिला” के नाम से प्रसिद्ध शारदा सिन्हा का हाल ही में एक लंबी और गंभीर बीमारी से संघर्ष करते हुए निधन हो गया।
बिहार और देशभर में उनके जाने का गम उनके चाहने वालों और संगीत प्रेमियों के दिलों में गहरा असर छोड़ गया है। उनकी आवाज़ ने बिहार की लोकधुनों को नई पहचान दिलाई, जिससे वे देश की जानी-मानी लोकगायिका बनीं।उनकी बीमारी के दौरान, उन्होंने कई महीनों तक इलाज करवाया और परिवार व दोस्तों के सहयोग से बेहतर होने की कोशिश की। लेकिन इसी दौरान उनके पति का भी देहांत हो गया, जो उनके लिए बहुत बड़ी व्यक्तिगत क्षति साबित हुआ।
पति के जाने के बाद से शारदा सिन्हा का मनोबल टूट गया था, और वे इस आघात से उबर नहीं पाईं।
भावनात्मक और मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण उनकी सेहत पर गहरा असर पड़ा, और वे अपनी आंतरिक लड़ाई जारी नहीं रख सकीं। शारदा सिन्हा ने अपने संगीत करियर में कई यादगार गीत दिए, जो खासतौर पर छठ, होली और विवाह जैसे त्योहारों पर आज भी लोकप्रिय हैं। “पहिले-पहिले हम काहें बने बिदेशिया” और “केसरिया बालम” जैसे गीतों ने उन्हें एक विशेष पहचान दी। उनके निधन से बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के संगीत प्रेमियों में शोक की लहर है।उनकी इस अमूल्य संगीत विरासत को आने वाली पीढ़ियाँ लंबे समय तक संजो कर रखेंगी और उनके लोकगीतों से प्रेरणा लेंगी।