Written By : Amisha Gupta
दिल्ली में छठ पूजा का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है, और इसके अंतर्गत श्रद्धालु नदी या जलाशयों में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
हालांकि, यमुना नदी सहित अन्य जल स्रोतों की स्वच्छता और प्रदूषण स्तर को देखते हुए स्वास्थ्य संबंधी चेतावनियां जरूरी हैं। इस वर्ष भी यमुना नदी में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं के लिए सरकार और विशेषज्ञों ने कुछ अहम निर्देश और सावधानियां जारी की हैं, जिनका पालन करके वे अपनी सेहत की सुरक्षा कर सकते हैं।
यमुना नदी में प्रदूषण की स्थिति-
दिल्ली की यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप में बढ़ा हुआ है। कई जगहों पर झाग और फोम जमा होता है, जिससे पानी का रंग भी बदल चुका है। नदी में कई तरह के रासायनिक तत्व और औद्योगिक कचरा मिल गया है, जो इसे स्नान के लिए असुरक्षित बना देता है। पिछले कुछ वर्षों में नदी में अमोनिया, फॉस्फेट और अन्य रासायनिक पदार्थों का स्तर बढ़ गया है, जो पानी को हानिकारक बनाते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य संस्थाओं की रिपोर्टों के अनुसार, यमुना का पानी फिलहाल स्नान और अन्य धार्मिक क्रियाओं के लिए सुरक्षित नहीं है।
स्नान करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान–
- स्वास्थ्य जोखिम: यमुना के प्रदूषित पानी में स्नान करने से त्वचा संबंधी बीमारियाँ, एलर्जी, खुजली, और संक्रमण का खतरा रहता है। कई बार यह पानी आँखों में जलन और अन्य समस्याएं भी पैदा कर सकता है।
- सांस संबंधी समस्याएं: नदी में मौजूद जहरीले रसायन साँस संबंधी दिक्कतें भी पैदा कर सकते हैं, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और उन लोगों के लिए जो पहले से सांस की समस्या से पीड़ित हैं।
- घरेलू उपायों से बचाव: यदि आप नदी में स्नान करने का निर्णय लेते हैं, तो स्नान के तुरंत बाद शरीर को स्वच्छ पानी से धोएं और हल्के एंटीबैक्टीरियल साबुन का प्रयोग करें। साथ ही, नाक और मुँह में प्रदूषित पानी के संपर्क से बचें।
दिल्ली सरकार ने इस वर्ष भी यमुना के घाटों पर छठ पूजा के दौरान पानी की गुणवत्ता सुधारने के प्रयास किए हैं। प्रदूषण नियंत्रण के लिए यमुना में एंटी-फोमिंग केमिकल्स का छिड़काव किया गया है, जिससे पानी में बनने वाले झाग को कम किया जा सके। इसके अलावा, घाटों पर साफ-सफाई की व्यवस्था और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई है, ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।