सेंट्रल डेस्क आयुषी गर्ग:- 19 नवंबर को कालभैरव जयंती है। इस दिन भगवान शिव ने कालभैरव रूप में अवतार लिया था। कृष्णाष्टमी को मध्याह्न के समय भगवान शंकर के अंश से भैरव रूप की उत्पत्ति हुई थी। भगवान भैरव से काल भी भयभीत रहता है इसलिए उन्हें कालभैरव भी कहते हैं। भैरवाष्टमी हमें काल का स्मरण कराती है।
भैरव आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय प्राप्त होती है। साथ ही व्यक्ति में साहस का संचार होता है। काल भैरव अष्टमी मनाई जाती है। इस दिन काल भैरव के व्रत व पूजा का विशेष विधान है। इस बार काल भैरव अष्टमी 19 नवंबर मंगलवार को मनाई जाएगी। कहते हैं कि भैरवाष्टमी या कालाष्टमी के दिन जो भक्त पूजा उपासना करता है उसके सभी शत्रुओं और पापी शक्तियों का नाश होता है और सभी प्रकार के पाप, ताप एवं कष्ट दूर हो जाते हैं। भैरवाष्टमी के दिन व्रत एवं षोड्षोपचार पूजन करना अत्यंत शुभ एवं फलदायक माना जाता है। इस दिन श्री कालभैरव जी का दर्शन-पूजन शुभ फल देने वाला होता है।
जो व्यक्ति काल भैरव की भक्ति करता है उसके पाप स्वतः दूर हो जाते हैं और मृत्यु के पश्चात इनके भक्तों को शिवलोक में स्थान प्राप्त होता है। काल भैरव के 52 रूप माने गए हैं। भैरव बाबा को शराब बहुत प्रिय है। उनके मंदिरों में शराब का प्रसाद अर्पित किया जाता है। भैरव बाबा को शराब चढ़ाकर हर मनोकामना पूरी की जा सकती है। काल भैरव अष्टमी के एक दिन पूर्व ऐसी शराब खरीदें जिसका रंग गौ मूत्र के समान हो। सोते समय उसे अपने तकिए को पास रखें। सुबह यानि कालभैरव जयंती के दिन भैरव बाबा के मंदिर जाकर शराब को कांसे के कटोरे में डालकर आग लगा दें। इससे राहु का प्रभाव शांत होगा। मन की समस्त इच्छाएं पूर्ण होंगी। कालभैरव जयंती के दिन भैरव बाबा के मंदिर में जाकर शराब की बोतल चढ़ाकर किसी सफाई कर्मचारी को भेंट स्वरूप दें। इससे भी जीवन में आ रही सभी समस्याओं का अंत होगा। आय के साधनों में वृद्धि होगी।
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