-Sahul pandey विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम् । पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥ अर्थ:— विद्या विनय देती है; विनय से पात्रता, पात्रता से धन, धन से धर्म, और धर्म से सुख प्राप्त होता है। उपर के श्लोक से यह स्पष्ट है कि विद्या से ही किसी भी …
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