नेता सुभाष चंद्र बोस की 125 जयंती पर प्रकाश डालते हुए राजकीय कन्या इंटर कॉलेज खलीलाबाद संतकबीरनगर की व्यायाम शिक्षिका सोनिया ने बताया कि इस वर्ष नेता जी की जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जा रही है ।
नेताजी बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे एवम् उनका संपूर्ण जीवन देश के लिए समर्पित था। नेता जी सुभाष चंद्र बोस देश के आजादी के लिए सदैव तत्पर रहे । द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजो के खिलाफ लड़ने के लिए नेता जी ने “आजाद हिंद फौज” का गठन किया। और अंग्रेजी हुकूमत को चकमा देकर वह जर्मनी पहुंचे और आजादी के लिए ताकत जुटाने का प्रयास किया उन्होंने एक, “जय हिंद” को राष्ट्रीय नारा बना दिया। आज हमारा देश जहां पर खड़ा है उसकी नींव नेता सुभाष चंद्र बोस ने रखी थी। नेताजी की एक आवाज पर हजारों लोग अपने प्राण न्योछावर करने के लिए आतुर रहते थे। अंग्रेजो के खिलाफ देखते ही देखते उन्होंने पूरी एक फौज खड़ा कर दी। उनके कंठ से निकला नारा जय हिंद आज भी देश के हर नागरिक के जुबान पर रहता है। नेता जी का जन्म कटक में हुआ। बंगाल में उनकी कॉलेज की पढ़ाई हुई। आईपीएस अफसर बनकर अपनी काबिलियत की लोहा अपने दुश्मनों को मनवा दिया लेकिन उनको अफसरी से मिली सुविधा की जिन्दगी पसंद नहीं थी।
वह तो योद्धा थे जिन्हें स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़नी थी। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को ना सिर्फ तहे दिल से अंगीकार किया बल्कि ” तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा ” का नारा देकर खुद आजादी के प्रेणता बन गए। नेता सुभाष चंद्र जी के 60 हजार की फौज में से करीब 26000 जवानों ने अपने प्राणों को देश के आजादी के लिए न्योछावर कर दिए। नेता सुभाष चंद्र बोस आजादी का सपना लेकर दुनिया के कई शासन अध्यक्षों से मिल चुके थे उन्होंने ,आजाद हिंद फौज, का गठन ही नहीं किया बल्कि 21 अक्टूबर 1943 को आजाद सरकार भी बना ली। जर्मनी, इटली, जापान, आयरलैंड, चीन, कोरिया फिलीपींस समेत 9 देशों की मान्यता भी इस सरकार को मिल गई।
नेताजी कहा करते थे कि जिस व्यक्ति के अंदर सनक नहीं होती वह कभी महान नहीं बन सकता। सुभाष चंद्र बोस का प्रयास और संघर्ष भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम देशों के लिए प्रेरक साबित हुआ नेता सुभाष चंद्र बोस जी आजादी के नायक हैं। और देश के हर युवाओं के दिलों की धड़कन है।
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