Written By : Amisha Gupta
लाहौर, दिल्ली और ढाका जैसे दक्षिण एशियाई शहर आज प्रदूषण की गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं।
बढ़ते शहरीकरण, वाहनों की बढ़ती संख्या, औद्योगिक गतिविधियाँ और जलवायु परिवर्तन के कारण इन शहरों की आबोहवा लगातार बिगड़ती जा रही है। इस समय तीनों शहरों की हवा इतनी दूषित हो चुकी है कि लोगों का सामान्य जीवन भी प्रभावित हो रहा है। इस स्थिति का समाधान करने के लिए सरकारें हर स्तर पर प्रयास कर रही हैं, लेकिन फिर भी लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
लाहौर की हवा इतनी खराब हो चुकी है कि स्थानीय प्रशासन को “ग्रीन लॉकडाउन” जैसे सख्त कदम उठाने पड़े हैं।
ग्रीन लॉकडाउन का उद्देश्य प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों पर सख्ती से काबू पाना और वायु गुणवत्ता में सुधार लाना है। इसके तहत कई तरह के नियम बनाए गए हैं, जिनमें मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। ग्रीन लॉकडाउन के अन्य प्रावधानों में उन कारखानों को बंद करना शामिल है जो प्रदूषण का मुख्य स्रोत हैं। इस लॉकडाउन के तहत सड़कों पर वाहन की संख्या को सीमित करना और जनसंख्या वाले क्षेत्रों में निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदम भी उठाए जा रहे हैं।
लाहौर की इस स्थिति के लिए मुख्यतः दो कारक जिम्मेदार हैं – एक तो वाहनों की अत्यधिक संख्या, जो सड़क पर धुआं छोड़ती है, और दूसरा, आसपास के क्षेत्रों में फसल जलाने की प्रथा, जो वायु को विषाक्त बनाती है। इन सभी कारणों से लाहौर की हवा का गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जिससे सांस लेने में दिक्कत, आँखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ गई हैं।