बिहार में चुनावों का ऐलान होते ही तमाम सियासी पार्टी चुनावी गुना भाग में लग चुकी हैं। और इसी दौर में गठबंधन की सियासत भी जोर पकड़ने लगी है। सीट बंटवारे को लेकर नोकझोंक और मनमुटाव इस दौर में कोई नई बात नही है। हाल ही में एनडीए के सहयोगियों में मनमुटाव की खबरें थी अब कांग्रेस और आरजेडी के बीच खटपट सुनाई दे रही है। कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अविनाश पांडेय ने कहा कि बिहार में आरजेडी भले ही बड़ी पार्टी है। तेजस्वी यादव को गठबंधन में सीएम उम्मीदवार मान सकते हैं। लेकिन कांग्रेस बीजेपी के विरोध का नेतृत्व राष्ट्रीय स्तर पर करती है। बिहार में भी सम्माजनक समझौता नहीं हुआ तो हम सभी 243 सीटों पर लड़ने को तैयार हैं। कांग्रेस का जनाधार वापस लौटा है। हमारे उम्मीदवारों की लिस्ट भी तैयार है।
अविनाश पांडेय ने कहा कि चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार को ही कांग्रेस पार्टी मैदान में उतारेगी। कार्यकर्ताओं का समर्पण, पार्टी के प्रति निष्ठा ही उम्मीदवार के टिकट के लिए चयन का आधार होगा। जिसने दिन-रात पार्टी के लिए मेहनत की है, उसे हर हाल में प्राथमिकता दी जाएगी।
इसके अलावा अविनाश पांडेय ने कहा कि बिहार का चुनाव देश में बड़ा संदेश देगा। इस बार पूरी ताकत से एनडीए को बिहार से उखाड़ फेंकना है।
पांडेय के मुताबिक गठबंधन हुआ तो जिन सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे, वहां तो लड़ेंगे ही। वहीं दूसरी सीटों पर भी हमारी तैयारी सहयोगी दल के उम्मीदवारों के काम आएगी। कितनी सीटें मिलेंगी और कितनी पर कांग्रेस समझौता कर सकती है, ये प्रदेश अध्यक्ष और राज्य प्रभारी को तय करना है। उन्होंने कहा कि ये तो तय है कि पिछले चुनाव में जितनी सीटें मिली थीं, उससे ज्यादा ही सीटों पर इस बार समझौता होगा।
खैर बिहार चुनाव के लिए कांग्रेस के मन मे क्या है ये तो साफ हो गया है। लेकिन क्या आरजेडी कांग्रेस को इतनी सीटें दे पायेगी और अगर ऐसा न हुआ तो क्या कांग्रेस के पास सच में ऐसे उम्मीदवार हैं जो जीत हासिल कर सकें। इन तमाम सवालों के जवाबों के लिए तो अभी इंतजार करना होगा।