पिछले एक महीने से चल रहे किसानों और सरकार के गतिरोध के बीच एक राहत की खबर सामने आई है। आखिरकार आंदोलन के 31वें दिन किसान यूनियनों ने सरकार की तरफ से मिला बातचीत का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। 40 किसान संगठनों की बैठक में काफी लंबा मंथन हुआ और अब किसानों और सरकार के बीच एक बार फिर वार्ता का रास्ता साफ हो गया है। स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने इसे लेकर जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि हम संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से सभी संगठनों से बातचीत कर ये प्रस्ताव रख रहे हैं कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर 2020 को सुबह 11 बजे रखी जाए। इस बात की जानकारी के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से भारत सरकार के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल को पत्र भी लिख दिया गया है।
दरअसल इससे पहले सरकार की तरफ से पत्र लिखकर किसान संगठनों से बातचीत के लिए तारीख और वक्त तय करने का आग्रह किया गया था। आज 40 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक के बाद इसे तय कर लिया है। साथ ही सरकार को जवाबी चिट्ठी लिखकर इसकी जानकारी भी दे दी गई है। जवाबी पत्र में लिखा गया है कि आपका दिनांक 24 दिसंबर 2020 का पत्र (संख्या 09/2020) प्राप्त हुआ। अफसोस है कि इस चिठ्ठी में भी सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है। हमने हर वार्ता में हमेशा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की थी। सरकार ने इसे तोड़ मरोड़ कर ऐसे पेश किया, मानो हमने इन कानूनों में संशोधन की मांग की थी। आप अपनी चिठ्ठी में कहते हैं कि सरकार किसानों की बात को आदरपूर्वक सुनना चाहती है। अगर आप सच में ऐसा ही चाहते हैं तो सबसे पहले बातचीत में हमने क्या मुद्दे कैसे उठाए हैं, इसके बारे में गलतबयानी ना करें।
इसके अलावा पत्र में किसानों ने अपने मुद्दों को लेकर भी स्थिति साफ की है। किसानों की तरफ से लिखे गए पत्र में लिखा गया है कि आप कहते हैं कि सरकार किसानों की सुविधा के समय और किसानों के चुने गए मुद्दों पर वार्ता को तैयार है, इसलिए हम संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सभी संगठनों से बातचीत कर ये प्रस्ताव रख रहे हैं। हमारा प्रस्ताव है कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर 2020 को सुबह 11 बजे आयोजित की जाए।
ये रहेगा बैठक का एजेंडा—-
- तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए
- MSP की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान
- ‘विद्युत संशोधन विधेयक 2020’ के मसौदे में जरूरी बदलाव
साफ है कि कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों औऱ सरकार के बीच वार्ता को लेकर ना सिर्फ वक्त औऱ तारीख तय हो गई है बल्कि अब मुद्दों को लेकर भी स्थिति साफ हो गई है। ऐसे में अब देखना होगा कि 29 दिसंबर को होने वाली वार्ता से दोनों पक्षों में सहमति बनती है या नहीं…।