उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण कानून को लेकर एक बार फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई है। दरअसल यूपी सरकार के कानून पर रोक लगाने की मांग के साथ कई याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की गई हैं। इसे लेकर आज हुई सुनवाई में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से हाईकोर्ट से वक्त मांगा गया है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने सरकार को 24 फरवरी को मामले में अंतिम सुनवाई की तारीख तय की है।
दरअसल याचिकाओं में यूपी सरकार के धर्मांतरण कानून को रद्द करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस कानून का दुरुपयोग किए जाने की आशंका है। ऐसे में इसे रद्द किया जाना चाहिए। याचिकाओं में आरोप है कि ये कानून व्यक्ति के अपनी पसंद और शर्तों पर किसी भी व्यक्ति के साथ रहने और धर्म/पंथ अपनाने के मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है। इससे पहले यूपी सरकार ने इस मामले को लेकर सभी याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट एकसाथ किए जाने की अपील की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी को राज्य सरकार की अर्जी ख़ारिज की थी।
हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही इस मामले को लेकर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल कर चुकी है और साफ कर चुकी है कि इस कानून से किसी भी दुरुपयोग की आशंका नहीं है। यूपी सरकार की तरफ से कहा गया था कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन से कानून व्यवस्था और सामाजिक स्थिति खराब हो रही थी। राज्य सरकार इसे रोकने के लिए धर्मांतरण अध्यादेश लायी है। राज्य सरकार ने धर्मांतरण अध्यादेश को पूरी तरह से संविधान सम्मत बताया है।सरकार की तरफ से कहा गया था कि इससे किसी के मूल अधिकारों का हनन नहीं होता है।