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यूपी की 80 सीटें बीजेपी के लिए बनी सिरदर्द, ‘बुआ-बबुआ’ की जोड़ी देगी ‘मोदी-शाह’ को मात

सेन्ट्रल डेस्क, साहुल पाण्डेय : लोकसभा सुनावों का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. लगातार कई राज्यों को लेकर सर्वे रिपोर्ट भी आ रहीं है. इन सर्वे रिपोर्ट पर एनडीए और महागठबंधन भी अपनी नजरें जमाए हुए है. लेकिन सत्ता धारी बीजेपी के लिए इस बार लोकसभा की राहें आसान नहीं होने जा रही है. सामने आ रहे सर्वे रिपोटर्स में बीजेपी को बड़ा नुकसान होता हुआ दिख रहा है. बीजेपी के लिए सबसे बड़ी सिरदर्द वाली खबर तो लोकसभा के लिए सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश से आई है. ताजा सर्वे के अनसार यहां पर बीजेपी को लोकसभा चुनावों में से ज्यादा सीटों का चुकसान हो सकता है.

बीजेपी को हो सकता है बड़ा नुकसान

एक निजी न्यूज चैंनल द्वारा किए गए सर्वे को अगर माने तो 2014 में करीब 71 सीटों पर जीत हासिल करनेवाली भारतीय जनता पार्टी को बड़ा नुकसान 2019 में झेलना पड़ सकता है. सवें के अनुसार बीजेपी को इस बार के चुनाव में 55 सीटों का नुकसान हो सकता है. वहीं इस सर्वे में यह साफ दिख रहा है कि मायावती और अखिलेश के गठबंधन को यूपी में भारी बहुमत मिलेगी. सपा और बसपा को कुल 58 से ज्यादा सीटों पर जीत मिलने की बात कही जा रहीं है. वहीं इस बार अकेले चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस को महज 4 सीटों से संतुष्ट होना पड़ सकता है.

बुआ-बबुआ की जोड़ी तोड़ेगी मोदी-शाह का तिलिस्म

पिछले लोकसभा में चुनाव में विरोधियों का सुपड़ा साफ करनेवाली बीजेपी का खेल इस बार यूपी में बिगड़नेवाला है. बीजेपी का खेल बिगाड़ने का पूरा श्रेय बुआ—बबुआ की जोड़ी यानी अखिलेश यादव और मायावती की जोड़ी को दिया जा रहा है. सपा और बसपा के बीच 26 साल बाद ऐसा एक संयोग फिर से बना है जिसने बीजेपी के सारे चुनावी समीकरणों को बिगाड़ दिया है. अखिलेश से मायावाती ने अपनी पुरानी दुश्मनी को भुलाते हुएइस बार गठबंधन किया है.

https://youtu.be/vm24cqHBeyE

अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव ने पूर्व में मायावती की इज्ज्त उछाली थी. लेकिन मायावती ने अपने साथ हुए उस अपमान को भुलाकर अखिलेश संग गठबंधन किर लिया. चुनाव में जीत और सत्ता के लोभ में आज यूपी में हाथी ने सारी दुश्मनी भुलाकर साइकिल की सवारी करने का मन बना लिया है.

ऐसे में जब सपा बसपा एक आए हैं तो जाहिर है कि यूपी का समीकरण बदलेगा. एक ओर जहां दलित और यादव वोट एक साथ आएंगे तो वहीं मायावती के सवर्णों वोटरों का भी साथ उन्हें मिलने की पूरी उम्मीद है. वहीं मुस्लिम वोट की गारंटी भी इस गठबंधन के पास है.

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