अध्यक्ष आदित्य ठाकरे वर्ली विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल कर दिया है। नामांकन से पहले 29 साल के आदित्य ने रोड शो के जरिए अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। इस दौरान शिवसेना के कार्यकर्ता पूरे जोश में नजर आए। जगह-जगह फूल बरसाकर उनका स्वागत किया गया। महाराष्ट्र के मुख्यमत्री देवेंद्र फडणवीस ने सुबह फोन करके आदित्य को आशीर्वाद दिया।
शिवसेना गढ़ हैं वर्ली
दरअसल वर्ली विधानसभा सीट को शिवसेना का गढ़ माना जाता है। यही वजह है कि यहां से मुख्यमंत्री पद के दावेदार आदित्य को प्रत्याशी बनाया गया है। हाल ही में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के पूर्व नेता सचिन अहीर भी शिवसेना में शामिल हो गए हैं। इससे आदित्य की जीत का रास्ता और आसान होने की उम्मीद है। 2009 में चुनाव जीतने वाले अहीर को 2014 में शिवसेना के सुनील शिंदे के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी थी।
1990 से वर्ली में शिवसेना का राज
वर्ली विधानसभा सीट पर शिवसेना के दबदबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1990 से 2014 के बीच छह विधानसभा चुनावों में से सिर्फ एक बार ही एनसीपी ने यहां जीत दर्ज की है। इसके अलावा हर बार यहां शिवसेना ने ही जीत दर्ज की है। 1990 से 2004 तक तो दत्ताजी नालावड़े ने यहां लगातार जीत हासिल की थी।
53 साल में पहली बार चुनाव मैदान में
दिवंगत बाल ठाकरे ने 1966 में शिवसेना का गठन किया था। तब से ठाकरे परिवार के किसी भी सदस्य ने चुनावों में हिस्सा नहीं लिया है और न ही कोई संवैधानिक पद स्वीकार किया है। 2014 में बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने जरूर चुनाव लड़ने का मन बनाया था, लेकिन बाद में उन्होंने फैसला बदल लिया था। लेकिन अब करीब 53 साल बाद उद्धव ठाकरे के बड़े बेटे आदित्य ठाकरे ने विधानसभा चुनाव में उतरने का मन बनाया है।
अपने पास रखती हैं रिमोट कंट्रोल
जून 1966 में शिवसेना की स्थापना होने के बाद से ठाकरे परिवार के किसी भी सदस्य ने चुनाव नहीं लड़ा है। वह हमेशा से राजनीतिक रिमोट कंट्रोल को अपने हाथ में रखना चाहती है। हालांकि आदित्य के चुनाव लड़ने से यह स्थिति बदलने वाली है।
Written By: Prachi Jain
https://www.youtube.com/watch?v=UHXmonhl2S0