चिराग पासवान की बगावत औऱ अलगाव से बदले सियासी समीकरण बिहार चुनाव में बीजेपी के लिए कारगर साबित होते दिख रहे हैं। अभी तक आए आंकड़ों के हिसाब से देखें तो चिराग के बागी सुर इस चुनाव में बीजेपी के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहे हैं। ऐसा पहली बार है कि बीजेपी पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है। अभी तक के नतीजों से साफ नजर आ रहा है कि चिराग पासवान बीजेपी के लिए हनुमान साबित हो रहे हैं। दरअशल चिराग ने प्रचार के दौरान कहा ही था कि वो पीएम मोदी के हनुमान हैं।
दरअसल चिराग पासवान के अलगाव के सुरों की वजह से बीजेपी का वोट शेयर और सीटें, दोनों में ही इजाफा होता दिख रहा है। एलजेपी ने बिहार चुनावों में 134 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इनमें से सिर्फ 6 सीटें ऐसी हैं, जहां बीजेपी के उम्मीदवारों के खिलाफ एलजेपी के उम्मीदवार सामने थे। यही वजह है कि पिछले 15 साल में पहली बार बीजेपी को सबसे ज्यादा 19.6 फीसदी वोट हासिल होता दिखाई दे रहा है।
दरअसल एलजेपी ने जेडीयू के खिलाफ सभी 115 सीटों पर चुनावी मैदान में ताल ठोकी थी। इसके चलते जेडीयू को पिछले चुनाव के मुकाबले 2% वोटों का नुकसान हुआ है। इसके अलावा इस बार जेडीयू को 20 से 22 सीटें भी कम आ रही हैं। उधर एलजेपी को इस चुनाव में कुछ खास हासिल नहीं हुआ है। पार्टी को 134 सीटों में से सिर्फ एक सीट पर सफलता हासिल होती दिख रही है। इसके अलावा वोट शेयर की बात करें तो ये करीब 6 फीसदी के आसपास दिखाई दे रहा है।
वहीं 2019 लोकसभा चुनावों से तुलना करें तो बीजेपी के वोट शेयर में कमी हुई है। आम चुनाव में बीजेपी को 23.58% वोट मिले थे। जबकि, इस बार 19.6% वोट मिलते दिखाई दे रहे हैं। उधर जेडीयू का वोट शेयर 6.5 फीसदी कम होता दिख रहा है।