chandrayan-2 के लैंडर विक्रम को लेकर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपनी रिपोर्ट जारी की नासा के अनुसार, लैंडर विक्रम की चांद के सतह पर हार्ड लैंडिंग हुई थी। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग के दौरान विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया था। नासा के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर (LRO) अंतरिक्षयान ने 17 सितंबर को चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव के पास से गुजरने के दौरान उस जगह की कई तस्वीरें ली, जहां विक्रम ने सॉफ्ट लैंडिग के जरिए उतरने का प्रयास किया था लेकिन एलआरओसी की टीम लैंडर के स्थान या उसकी तस्वीर का पता नहीं लगा पाई है।
नासा ने कहा कि विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई और अंतरिक्ष यान के सटीक स्थान का पता अभी तक नहीं चला है। नासा के अनुसार, इस दृश्यों की तस्वीरें लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर के कैमरा क्विकमैप ने लैंडिंग स्थल से ऊपर उड़ान भरने के दौरान ली।
chandrayan-2 के विक्रम मॉड्यूल की सात सितंबर को चंद्र सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की कोशिश नाकाम रही थी और विक्रम लैंडर का लैंडिंग से चंद मिनटों पहले जमीनी केंद्रों से संपर्क टूट गया था।
नासा ने कहा है कि दक्षिणी ध्रुव पर रात होने के कारण लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) चंद्र सतह पर बेजान पड़े विक्रम की तस्वीर नहीं ले सका। हालांकि इसके अलावा नासा ने चंद्र सतह की कई तस्वीरें जारी की है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इन गढ्ढों के पीछे छाए घने अंधेरे में लैंडर विक्रम कहीं पड़ा हुआ है जिससे उसकी तस्वीर नहीं आ सकी।
क्या है-LRO :-
एलआरओ यानी लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO)।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने 18 जून 2009 को इसे लॉन्च किया था। यानी आज से करीब 10 साल पहले।
यह नासा का रोबोटिक स्पेस्क्राफ्ट है जो इस वक्त चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहा है।
नासा के अनुसार, LRO से मिले डेटा को व8ह अपने आने वाले रोबोटिक व मानव मिशनों की योजना तैयार करने में इस्तेमाल करता है।
Written by – Ashish kumar
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