Written By : Amisha Gupta
छठ पूजा का पर्व–
छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का पर्व है, जो विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष छठ पूजा 8 नवंबर 2024 को है।
पूजा की विधि-
छठ पूजा चार दिन तक चलने वाला पर्व है, जिसमें हर दिन का एक विशेष महत्व होता है।
- पहला दिन (नहाय-खाय): व्रती पहले दिन किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करते हैं और शुद्धता के साथ सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। इसे नहाय-खाय कहते हैं। इस दिन घर की पूरी सफाई की जाती है ताकि वातावरण पवित्र बना रहे।
- दूसरा दिन (खरना): दूसरे दिन शाम को व्रती गुड़ और चावल की खीर, रोटी और फल का प्रसाद तैयार करते हैं और इसे ग्रहण करके व्रत की शुरुआत करते हैं। इस दिन से व्रती अगले 36 घंटे तक बिना अन्न-जल के निर्जला व्रत रखते हैं।
3.तीसरा दिन (संध्या अर्घ्य): व्रती तीसरे दिन सूर्यास्त के समय जलाशय में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस अर्घ्य को संध्या अर्घ्य कहा जाता है। इस पूजा में बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ और अन्य प्रसाद को सजाकर सूर्य देव को अर्पित किया जाता है।
- चौथा दिन (उषा अर्घ्य): चौथे और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसे उषा अर्घ्य कहते हैं। इसके बाद व्रती अपना व्रत तोड़ते हैं और परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करते हैं।
महत्व:
छठ पूजा का महत्व बहुत गहरा है। यह व्रत सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने और पारिवारिक सुख-समृद्धि की कामना के लिए किया जाता है। इस व्रत में सूर्य देव को अर्घ्य देने से स्वास्थ्य, ऊर्जा और मानसिक शक्ति की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि छठी मैया की पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है और सभी कष्टों का निवारण होता है। यह पर्व पर्यावरण के प्रति सम्मान, परिवार में एकता और सामुदायिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने का प्रतीक है।