यह घटना वास्तविक भारत की तस्वीर का जीता जागता उदाहरण है। यह घटना भारत के बढ़ते विकास की ढींगे बघारने वाले लोगो का ध्यान इस ओर केंद्रित करती है। भारत की वास्तिविक अर्थव्यवस्था इतनी अपाहिज हो चुकी है कि गरीबी स्तर जीवन यापन कर रहे लोगो के लिए दो वक्त की रोटी,उनके लिए पेट भरना मुश्किल हो गया। आत्महत्या करना ही एक उचित विकल्प बचा है। कासगंज के कस्बा बिलराम में गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रह एक पिता जब बच्चो की भूख नहीं मिटा सका तो उसने मौत को गले लगा लिया। शनिवार की सुबह गांव के बाहर पेड़ से लटका उसका शव मिला। मृतक के शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। थाना ढोलना के कस्बा बिलराम के महेशपुर रोड नवासी पूरन 41 पुत्र हुकम सिंह बेहद गरीब था। वह मेहनत मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करता था।
लेकिन कई दिनों से उसे काम नहीं मिल रहा था। उसकी पत्नी 4 बच्चे पड़ोस में मांग कर खाना खा रहे थे। वह पांच दिन पहले दिल्ली चला गया था। लेकिन पांच दिनों के बाद लौट कर उसे काम नहीं मिला। शुक्रवार को वो दिल्ली लौट आया। उसने देखा कि पत्नी और बच्चे भूखे थे। बाद में गांव वालो ने जो कुछ दे दिया था, उससे ही भूख मिटाई यह देख वह पूरी तरह टूट गया और उसके कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि जानकारी होने के बाद नायब के तहसीलदार कीर्ति चौधरी गांव पहुंच कर घटना की जानकारी ली।
मृतक परिवार वालो की मदद की पुलिस को निर्देशित कर शव पोस्टमार्टम को भिजवाया। मानवीय आधार पर कुछ आर्थिक मदद की गई। मृतक के परिवार को खाद्यान्न भी उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा जो भी संभव होगा मदद की जाएगी। यह घटना मौजूदा सरकार उसकी व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है। कि देश के प्रति आपकी प्राथमिकताएं क्या है? देश की गरीबी का स्तर इतना गिर गया कि जीवन यापन कर रहे लोगो को मजबूरन दमतोड़ना पड़ रहा है।
WRITTEN BY- RISHU TOMAR