Breaking News
Home / अपराध / क्या अब शिक्षा पाना अब इतना मुहाल है कि आत्महत्या जैसा कदम उठा लेना ही लगे उचित विकल्प।

क्या अब शिक्षा पाना अब इतना मुहाल है कि आत्महत्या जैसा कदम उठा लेना ही लगे उचित विकल्प।

यह घटना आपकी संवेदना को पूरी तरह झकझोर कर रख देगा। आखिर हम अपने समाज को किस तरह बनते देख रहे है क्या बाकई ऐसी घटना से हमारा कोई सरोकार नहीं है। हमारी कल्पना ने ऐसी स्थति की अपेक्षा की थी कि शिक्षा के ख़ातिर देश के बच्चो को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़े यह एक जटिल बिडंबना है। आखिर ऐसी स्थतियाँ ही यह मामला महाराष्ट्र के सोलहपुर जिले के गरीब किसान पिता के द्वारा बीटेक के फीस के लिए जरूरी एक लाख रूपये तय सीमा पर नहीं जुटा पाने पर बेटी ने कथित तौर पर कीटनाशक दवाई पीकर जान दे दी। जानकारी के  मुताबिक़  पुलिस ने बताया कि रुपाली रामकृष्ण पवार जालंधर स्थित एक कॉलेज के बीटेक प्रथम वर्ष में दाखिले के लिए पिता द्वारा एक लाख रुपए नहीं जुटा पाने को लेकर निराश थी। वही दूसरी ओर रुपाली के पिता का कहना है कि वो बेटी के पढाई के खातिर पैसे जुटाने के लिए खेत बेचने के लिए तैयार थे। लेकिन उन्हें जल्दबाजी में खेत की सही मूल्य नहीं मिल पा रहे थे। उन्होंने कहा मेने कभी नहीं सोचा था कि बेटी की निराशा इस हद तक बढ़ जाएगी कि वह आत्महत्या जैसे कदम उठा लेंगी।

बेटी की पढ़ाई के लिए खेत बेचने को तैयार था पिता, फीस में हुई देरी तो उठा लिया ये कदम


दरसल रुपाली फीस को लेकर इतनी परेशान हो चुकी थी कि उसने कीटनाशक दवाई पी ली दवाई का असर होने तक वह उसे सहन करती रही बाद में दवाई का असर होने से वह तकलीफ बर्दास्त नहीं कर पाई तो जब वह चिल्लाने लगी उसके बाद परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे। जंहा उसकी हालत को गंभीर बताते हुए डॉक्टर ने उसे दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। यंहा उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। रुपाली के घर के अन्य परिजनों ने बताया 17 साल की रुपाली पढ़ाई में बहुत अच्छी थी उसने उसने कॉमन एंट्रेस टेस्ट (सीईटी) में 89 फीसदी अंक हासिल किए थे। लेकिन 20 जुलाई के तय समय तक पैसो का इंतज़ाम नहीं हो पाने से निराश रुपाली की परिवार से वहस हुई थी। इसलिए आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया यह आत्महत्या सिर्फ रुपाली की परिस्थति की नहीं बल्कि समाज की अनैतिक शिक्षा व्यवस्था की है, जिससे मज़बूरी में आत्महत्या करना ही एक आखिरी   विकल्प समझा। यह बेहद चिंता का विषय है आखिर ऐसी व्यवस्था के लिए जिम्म्मेदार किसे ठहराया जाए हम कैसी शिक्षा के बुनियादी ढांचे को तैयार कर रहे है यह समस्या शिक्षा की व्यवस्था और सरकार के प्रति कई सवाल खड़े करती है। क्या इसी भयानक परिस्थियों की बुनियाद पर भारत के शिक्षित समाज की पहचान उबर कर सामने आएगी यह आत्महत्या सिर्फ रुपाली की नहीं बल्कि शिक्षा की लड़खड़ाती व्यवस्था की मज़बूरी का  विकल्प एक है। यह आत्महत्या भारत के आधुनिक बढ़ते विकास के लिए एक तमाचा है। उच्च शिक्षा की उपलब्धि की होड़ में आम आदमी के संकट  की  सूली पर जूझता  बच्चो का  भविष्य।

EDITOR BY- RISHU TOMAR 

https://www.youtube.com/watch?v=pl-eAiwirgc&feature=youtu.be


About News10India

Check Also

JNU के बाद अब Jamia में भी ऑनलाइन कक्षाएं, छात्र इस तारीख से करेंगे कैंपस में प्रवेश

Written By : Amisha Gupta दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) विश्वविद्यालय ने …

Leave a Reply

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com