साहित्य और सिनेमा जगत के दिग्गज गिरीश कर्नाड का सोमवार को निधन हो गया। गिरीश कर्नाड ने अपने जीवन में बतौर राइटर, एक्टर, एक्टिविस्ट काम किया। उनका जन्म 19 मई, 1938 को महाराष्ट्र के माथेरान में हुआ था।
यह सच है कि एक लेखक का जीवन आम लोगो से अलग होता है। वो एक साथ तीनो समय को लेकर सोचने और जीने की कोशिश करता है। चाहें पल बीत गया हो, चल रहा हो या आने वाला हो।
एक नजर उनके सफर पर..
बात करते है तमिल लेखक कनार्ड गिरीश की। उन्होंने 1970 में संस्कार उपन्यास से बेहद ख्याति हासिल किया। संस्कार उपन्यास में लेखक ने भारतीय संस्कृति ऐतिहासिक पात्रो के जरिये भारतीय सामाजिक मानसिकता को उजागर किया था। कनार्ड ने अपने जीवन के बारे में बताया था ‘जब 17 साल के थे तब मैंने अइरिस लेखक “सीन ओ कैसी ” सकेस बनाकर उन्हें भेज , तो उसके बदले उन्होंने एक पत्र भेजा। पत्र में लिखा था यह सब करके अपना वक्त जाया न करे बल्कि अपनी योग्यता के अनुसार कुछ ऐसा करें की लोग आपका आटोग्राफ मांगे।’
गिरीश ने बताया कि उसके बाद फिर कभी ऐसा नहीं किया।
उनके जीवन में लेखकीय प्रभाव विरासती था। उनके माता-पिता दोनों की दिलचस्पी थिएटर में ही थी वो हमेशा से ही काम के सिलसिले में रहते थे। ‘ बालगंधर्व , मराठी थियेटर उन्होंने दोनों में ही बखूबी काम किया। थियेटर कितना शानदार होता है यह उन्होंने अपने मातापिता से सुना था।इसके बाद उनकी रूचि और बढ़ गई ।
उनके पढ़ाई सफर…
गिरीश कर्नाटक आर्ट से ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर इंग्लॅण्ड गए जहां उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद भारत वापस लौट आये।
चेन्नई में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में काम किया। वहां मन नहीं लगा तो इस्तीफ़ा दे दिया। जिसके बाद उन्होंने थियेटर के लिए पूर्ण रूप से समर्पित होकर काम करने लगे।
गिरीश कर्नाड के द्वारा महत्वपूर्ण रचनाये …
ययाति,हयवदना, नागामनडाला, तुगलक, अग्निमतु माले’, ‘नगा मंडला’ और ‘अग्नि और बरखा’ शामिल है। इसके साथ ही उन्होंने कई फिल्मों में भी अभिनय करते नज़र आये। जैसे ‘ मेरी जंग , अपने पराये ,भूमिला डोर स्वामी, एक था टइगर, टाइगर जिन्दा है जैसी फिल्मो में भी नज़र आ चुके है। गिरीश कनार्ड का 1978 में साहित्यिक प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ अवार्ड से भी नवाजा गया।
‘गिरीश कनार्ड ‘ काफी लम्बे समय से बीमार चल रहे थे कई दिनों से इलाज चल रहा था आवर इसी के चलते और इस साहित्यिक जगत में अपने पहचान बनाकर 10 जून 2019 को को सोमबार सुबह अलविदा कह गए।