सेंट्रल डेस्क, दीपक खाम्बरा- देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेला में सबोंधन करते हुए कहा कि उन्हें नहीं पता कि वे भारत रत्न सम्मान के कितने हकदार हैं। अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेला में प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न मिलने पर पुस्तक मेला और साहित्य उत्सव के आयोजकों द्वारा समानित किया गया। प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि मैं इस सम्मान का कितना हकदार हूं।’ मुखर्जी को हाल ही में भारत रत्न से सम्मानित किये जाने की घोषणा की गई थी। उनके अलावा समाजसेवी नानाजी देशमुख और गायक एवं संगीतकार भूपेन हजारिका को भी मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किये जाने की घोषणा की गई थी।
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तीन दिवसीय साहित्य उत्सव का उद्घाटन करते हुए मुखर्जी ने कहा कि पूर्ववर्ती पूर्वी पाकिस्तान में बांग्ला को आधिकारिक भाषा का दर्जा देने की मांग के आंदोलन के कारण ही सन् 1971 में बांग्लादेश का निर्माण हुआ। उन्होंने कहा कि 48 वर्ष पहले जिन लोगों ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिस्सा लिया था, उनका एक ही नारा था – बांग्ला को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान की राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिले।
उपलब्ध साहित्यों के मुताबिक विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान की आधिकारिक भाषा उर्दू थी और उस क्षेत्र के लोग बांग्ला को मातृ भाषा बनाने की लड़ाई लड़ रहे थे। साथ ही प्रणब मुखर्जी ने कहा कि शेख मुजीबुर्रहमान ने उस आंदोलन का नेतृत्व किया था, जिसके बाद सन् 1971 में बांग्लादेश का निर्माण हुआ। इसके साथ-साथ प्रणब मुखर्जी ने कहा कि लोगों को बांग्ला भाषा का सम्मान करना चाहिए जो पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है।
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बता दें कि केन्द्र सरकार द्वारा पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न की घोषणा के बाद कई विपक्षी दलों ने कहा था, जो नागपुर जायेगा उसे भारत रत्न दिया जाएगा। नागपुर में आरएसएस का केंद्रीय कार्यालय है, जहां प्रणब मुखर्जी ने एक कार्यक्रम में शिरकत की थी।