सेंट्रल डेस्क: साहुल पाण्डेय : लोकसभा चुनावों को लेकर लगभग 80 दिनों तक का समय शेष बचा हुआ है. लेकिन इससे पहले कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा के रुप में अपना मास्टर स्ट्रोक खेला है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी है. उन्हें यहां का प्रभार देने के साथ ही महासचिव का भी पद दिया गया है. प्रियंका के राजनीति में आने के बाद से पॉलिटिकल गलियारों में इस बात की चर्चा चल रही है कि प्रियंका के जरिए कांग्रेस 2019 के चुनाव में प्रधाानमंत्री नरेंद्र मोदी को टक्कर देने की तैयारी में है. लेकिन जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर की राय इस मामले में अलग है. उन्होने ऐसा मानने वालों की बातों को सिरे से खारिज कर दिया है.
पॉलिटिकल एनालिस्ट से पॉलिटिशियन बने प्रशांत किशोर ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि प्रियंकाकी तुलना नरेंद्र मोदी से करना एक प्रीमैच्योर बात होगी. उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी को अभी राजनीति में समय देना होगा ताकी देश की जनता को भी उनके बारे में जानने का समय मिल सके और जनता यह निर्णय ले सके कि क्या वे पांच साल तक देश की जिम्मेंदारी को उठाने लायक हैं भी या नहीं. वहीं उन्होंने उन मीडिया रिपोर्ट को भी झूठा बताया है कि जो प्रियंका गांधी को 2014 के लिए कांग्रेस के प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बता रहे थे.
अपने साक्षात्कार में प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर कोई यह सोचता है कि कोई भी फिर चाहे वे प्रियंका हीं क्यो न हो, देश्रा की सबसे पूरानी पार्टी में कुछ बदलाव ला सकती हैं वो भी इतने कम समय में तो ये सही बात नहीं होगी. वहीं उन्होंने भाई—बहन की जोड़ी की तुलना मोदी—शाह की जोड़ी से किए जाने को लेकर कहा कि नरेंन्द्र मोदी और अमित शाह लंबे समय से राजनीति में हैं और दोनो की अभी तुलना नहीं की जा सकती है.
आपको बता दें कि कल लखनऊ पहुंचे राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री की औचरारिक घोषणा की. उन्होंने मीडिया को जानकारी दी कि प्रियंका वाड्रा पूर्वी यूपी में पार्टी की कमान संभालेंगी. उनके इस घोषणा के बाद मीडिया में यह खबरें आने लगीं कि प्रियंका गांधी 2019 में मोदी को टक्कर देंगीं. वहीं कई जगह उन्हें कांग्रेस की दूसरी इंदिरा और उनके राजनीति में आने को कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक भी बताया गया था.