सेन्ट्रल डेस्क, अरफा जावेद- जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 से ज़्यादा जवानों के शहीद होने से पूरा देश इस वक़्त गुस्से में है। बांग्लादेश और नेपाल समेत कई देशों ने इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। यह हमला उस वक़्त हुआ जब सीआरपीएफ के करीब ढाई हज़ार जवानों को जम्मू से श्रीनगर शिफ्ट किया जा रहा था। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 18 साल बाद कार बम का इस्तेमाल किया गया है। ये हमला आतंकी संगठन जैश-ए-मौहम्मद द्वारा किया गया है। इससे पहले साल 2001 में श्रीनगर में विधानसभा परिसर में यह हमला किया गया था। इससे पहले भी तीन बार स्थानीय लोगों का फिदायनी हमले के लिए इस्तेमाल किया गया था, लेकिन कड़ी सुरक्षा के चलते वे नाकामयाब रहे थे।
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1 अक्टूबर 2001 को जैश के तीन फिदायीनों ने विस्फेटक से भरी टाटा सूमो से विधानसभा परिसर को निशाना बनाया था। इस हमले में तीनों फिदायनी मारे गए थे। इसके साथ-आथ 38 लोगों की मौत भी हो गई थी। इस हमले में एक पाकिस्तानी का नाम सामने आने की वजह से केंद्र ने इस मामले पर कड़ी आपत्ति जताई थी। सूत्रों की माने तो सन् 1999 में भी श्रीनगर में 15 कोर मुख्यालय से एक स्थानीय फिदायीन ने कार को गेट से टकराकर हमला करने की कोशिश की थी, लेकिन इस हमले में कड़ी सुरक्षा के चलते किसी प्रकार के नुकसान की सूचना नहीं मिली थी। इसी प्रकार के हमले की साल 2003 और साल 2005 में भी कोशिश की गई थी।
18 साल बाद इस नए टेंड्र से सुरक्षा एजेंसियों के माथे पर बल है क्योंकि इस तरह के हमले से सुरक्षा कर पाना मुश्किल होता है। इसमें सबसे बड़ी दिक्कत वीआईपी मूवमेंट और सुरक्षा बलों के काफिले के गुज़रने के दौरान होती है।