सेंट्रल डेस्क दीपक खांबरा:- महाराष्ट्र का सियासी संघर्ष अब सियासी संकट की तरफ बढ़ता दिखाई दे रहा है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि मोदी कैबिनेट ने राष्ट्रपति को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा कर दी है. इसी बीच शिवसेना भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है.
सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना ने अपनी याचिका में मांग की है कि राज्यपाल के उस आदेश को रद्द किया जाए जिसमें उन्होंने शिवसेना को समर्थन पत्र जमा करने के लिए तीन दिनों का समय देने से इनकार किया था. शिवसेना ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट गर्वनर को आदेश दे कि शिवसेना को समर्थन जुटाने के किये पर्याप्त समय दिया जाए. शिवसेना ने अपनी याचिका में ये भी कहा कि राज्यपाल के उस आदेश को रद्द किया जाए जिसमें उन्होंने सरकार बनाने के लिए शिवसेना के क्लेम को खारिज कर दिया था. शिवसेना की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और देवदत्त कामत सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे हैं.
राज्यपाल ने केंद्र को भेजी रिपोर्ट में कहा था कि नतीजे सामने आने के 15 दिन बाद भी कोई भी दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में राष्ट्रपति शासन लगाना ही बेहतर विकल्प है। इस फैसले के बाद राकांपा और कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लोकतंत्र का मजाक उड़ाना है। दोनों पार्टियों ने सरकार गठन पर कहा कि सभी बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट होने के बाद हम इस पर आगे बात करेंगे। हमारे बीच स्थितियां स्पष्ट होने के बाद शिवसेना को समर्थन देने पर बात की जाएगी.
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