लोकसभा चुनाव में जिस तरह से विपक्षियों का प्रदर्शन रहा पार्टी के अंदर कुछ ठीक नहीं चल रहा है। जहां एक ओर कांग्रेस कुछ कहने से बच रही है, तो दूसरी ओर उत्तरप्रदेश में 23 सालों के बाद लोकसभा चुनाव 2019 में एक हुए सपा-बसपा महागठबंधन ने अब अलग होने का संकेत दे रही है।
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद बसपा प्रमुख मायावती अब महागठबंधन से किनारा कर अकेले दम पर चुनाव लड़ने की सोंच रही है। जिसके बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से जब पत्रकारों ने बातचीत की तो अखिलेश यादव ने इतना कह ही दिया कि ‘अब हम अपने साधन और अपने संसाधनों से चुनाव लड़ेंगे।’ जिसके बाद से कयास लगाया जा रहा हैं कि गठबंधन अब अंतिम दौर में चल रही है।
मायावती ने आरोप लगाते हुए कहा कि ‘चुनाव के दौरान फैयदे की उम्मीद जो हम लगा रहे थे, लेकिन असर उल्टा रहा। लिहाजा गठबंधन की समीक्षा की जा रही है।’
विधायकों के लोकसभा के लिए चुने जाने की वजह से यूपी में खाली हो रहे 11 विधानसभा सीटों के उपचुनाव को लेकर पार्टी नेताओं ने एक बैठक किया। जिसके बाद मायावती ने घोषणा कि बसपा राज्य में अकेले उपचुनाव लड़ेगी। बसपा को अकेले चुनाव में उतरने का फैसला, इसका साफ मतलब है कि मायावती समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन जारी रखने के मूड में नहीं हैं।
इधर जहां एक तरफ दिल्ली में मायावती गठबंधन तोड़ने के संकेत दे रही थीं और वहीं आजमगढ़ में अखिलेश जीत के लिए वोटरों को धन्यवाद दे रहे थे। लेकिन चुनाव नतीजों के बाद पहली बार कैमरे पर आए अखिलेश यादव ने आगे की लड़ाई के लिए नए प्लान पर काम करने की बात कही। उन्होंने कहा कि अब अपना साधन और अपने संसाधन से हम चुनाव लड़ेंगे।