अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्ज़े के साथ ही अफगानी जनता में शरीया कानून का खौफ साफ़ देखा जा सकता है, आइये जानते हैं क्या है शरीया कानून
तालिबान में शरिया कानून के तहत तय किए गए कुछ नियम। तालिबान को देखते हुए पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने भी इस कानून को अपनाने की बात की है।
“शरीयत” कानून जिसे “शरिया” कानून भी कहा जाता है यह एक इस्लाम धर्म का कानून है इसीलिए इसे “इस्लामिक कानून” भी कहते हैं।
इस कानून को इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद द्वारा दी गई मिसाल समझा जाता है जिसे सुन्नाह भी कहते हैं। एक प्रकार का धार्मिक कानून है जिसके तहत बहुत सी चीजों को लेकर मत दिए गए हैं। जैसे कि स्वास्थ्य, खानपान, पूजा विधि, व्रत विधि, विवाह, जुर्म, राजनीति, अर्थव्यवस्था इत्यादि।
यह एक ऐसा कानून है जिसके अंदर मानव से जुड़े हुए हर एक कार्य का वर्णन है। इसमें कहा गया है कि जिहाद तब तक जारी रखना चाहिए जब तक पूरा विश्व सरिया के शरण में नहीं आ जाता। शरिया कानून को अल्लाह का कानून माना जाता है। इसके अनुसार न्याय करने वाले पारम्परिक न्यायाधीशों को ‘क़ाज़ी’ कहा जाता।
एक इंटरव्यू के दौरान तालिबान के जज गुल रहीम ने कहा कि, ‘शरिया लॉ के तहत कई मामलों में हम पत्थर मारकर जान लेने का हुक्म देते हैं। कुछ मामलों में हम घुटनों को काटने की सजा देते हैं। यह सब उस शख्स के द्वारा किए गये अपराध पर निर्भर करता है।’
जब उनसे यह पूछा गया कि अपराध करने वाला व्यक्ति अगर “गेय” हो तो कौन सी सजा दी जाएगी? इस पर उनका जवाब था कि “गेय” लोगों के लिए हमारे पास दो ऑप्शन हैं। पहला कि या तो उसे पत्थरों से चोट पहुंचाते हुए मार दिया जाए। दूसरा ऑप्शन ये है कि उसके ऊपर दीवार गिरा दी जाए, जिससे उसकी मौत हो जाए।’
तालिबान पाकिस्तान और अफगानिस्तान का कहना था कि अगर वह एक बार सत्ता में आते हैं तो वह शांति की स्थापना के लिए शरिया कानून को लागू करेंगे।
जानकारी के मुताबिक कुछ समय बाद ही तालिबान का यह शरिया कानून तालिबानियों को फांस की तरह चुभने लगा। इस कानून के तहत महिलाओं पर कई तरह की कड़ी पाबंदियां लगा दी गईं साथ ही हर तरह के जुर्म की सजा के लिए दर्दनाक तरीके निकाले गए जिसका लोगों ने बहुत विरोध किया।
- इस कानून के मुताबिक अफगानी पुरुषों के लिए बढ़ी हुई दाढ़ी और महिलाओं के लिए बुर्का पहनने का फरमान सुनाया गया था।
- टीवी, म्यूजिक, सिनेमा पर पाबंदी लगा दी गई। दस उम्र की उम्र के बाद लड़कियों के लिए स्कूल जाने पर मनाही थी।
- तालिबान ने 1996 में शासन में आने के बाद लिंग के आधार पर कड़े कानून बनाए। इन कानूनों ने सबसे ज्यादा महिलाओं को प्रभावित किया।
- अफगानी महिला को नौकरी करने की इजाजत नहीं दी जाती थी।
- लड़कियों के लिए सभी स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी के दरवाजे बंद कर दिए गए थे।
- किसी पुरुष रिश्तेदार के बिना घर से निकलने पर महिला का बहिष्कार कर दिया जाता है।
- पुरुष डॉक्टर द्वारा चेकअप कराने पर महिला और लड़की का बहिष्कार किया जाएगा। इसके साथ महिलाओं पर नर्स और डॉक्टर्स बनने पर पाबंदी थी।
- तालिबान के किसी भी आदेश का उल्लंघन करने पर महिलाओं को निर्दयता से पीटा और मारा जाएगा।
जानकारी के मुताबिक शरिया कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए तय की गई क्रूर सजा की वजह से 97 फ़ीसदी महिलाएं डिप्रेशन का शिकार हो गई थी।
- घर में गर्ल्स स्कूल चलाने वाली महिलाओं को उनके पति, बच्चों और छात्रों के सामने गोली मारी जाने लगी।
- प्रेमी के साथ भागने वाली महिलाओं को भीड़ में पत्थर मारकर मौत के घाट उतार दिया जाने लगा।
- गलती से बुर्का से पैर दिख जाने पर कई अधेड़ उम्र की महिलाओं को पीटना शुरू कर दिया गया।
- पुरुष डॉक्टर्स द्वारा महिला रोगी के चेकअप पर पाबंदी से कई महिलाएं मौत के मुंह में चली गई।
- कई महिलाओं को घर में बंदी बनाकर रखा जाता था। इसके कारण महिलाओं में आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ने लगे।