सेंट्रल डेस्क आयुषी गर्ग:- ली जलाने पर रोक लगाने के आदेश के बावजूद हरियाणा और पंजाब में ऐसी घटनाएं बढ़ने को लेकर उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकारों को खूब खरी-खोटी सुनाई। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर तल्ख टिप्पणी करते हुए अदालत ने सॉलिसिटर जनरल को भी फटकार लगाई और कहा कि लोगों को गैस चेंबर में रहने को मजबूर क्यों होना पड़ रहा है इससे अच्छा आप विस्फोटकों से भरे बैग लाइये और उन्हें एक बार में मार दीजिए। अदालत ने यह भी कहा कि दिल्ली की हालत नरक से बदतर है।
Supreme Court to Solicitor General Tushar Mehta, "Why are people being forced to live in gas chambers? It is better to kill them all in one go, get explosives in 15 bags at one go. Why should people suffer all this? In Delhi blame game is going on, I am literally shocked”. pic.twitter.com/ZyeQwTpVCT
— ANI (@ANI) November 25, 2019
अदालत ने पंजाब के मुख्य सचिव से पूछा कि पराली न जलाने को लेकर क्या कदम उठाए गए। उन्होंने कहा, ‘हमें बताएं कि आदेश के बावजूद क्यों पराली जलने के मामले बढ़े हैं। आप पराली जलाए जाने की जांच क्यों नहीं कर पा रहे हैं। क्या यह असफलता नहीं है?’ दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण लाखों लोगों की आयु कम हो गई है और लोगों का दम घुंट रहा है।
अदालत ने कहा, ‘मुख्य सचिव हम राज्य के हर प्रशासन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। आप लोगों को इस तरह मरने के लिए नहीं छोड़ सकते। दिल्ली में लोगों का दम घुंट रहा है क्योंकि आप उपायों को लागू करने में सक्षम नहीं हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि दिल्ली-एनसीआर के लोग मरेंगें और कैंसर की चपेट में आएंगे।’
अदालत ने हरियाणा सरकार से पूछा कि राज्य में पराली जलाए जाने के ममाले क्यों बढ़ रहे हैं। अदालत ने कहा, आपने पहले पराली जलाने को नियंत्रित करने के लिए अच्छा काम किया था लेकिन अब यह बढ़ गया है। पंजाब और हरियाणा ने कुछ नहीं किया।
अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुशार मेहता से कहा, ‘क्यों लोगों को गैस चेंबर में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है? इसे अच्छा होगा कि उन्हें एक साथ मार दिया जाए। 15 विस्फोटकों के बैग लाइये और उन्हें एक बार में मार दो। लोगों को यह सब क्यों भुगतना चाहिए? दिल्ली में एक-दूसरे पर इल्जाम लगाया जा रहा है। मैं इससे हैरान हूं।’
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, ‘लोग हमारे देश पर हंस रहे हैं कि हम पराली जलाए जाने को भी नियंत्रण नहीं कर सकते हैं। एक-दूसरे पर आरोप लगाकर दिल्ली के लोगों की सेवा नहीं की जा सकती। आप एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं और प्रदूषण को गंभीरता से नहीं लेते।’ अदालत ने दिल्ली में जल प्रदूषण पर गंभीरता से संज्ञान लिया और कहा कि लोगों को शुद्ध जल पाने का अधिकार है।
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