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2021 का कौन सा महीना कोरोना के चलते सबसे मनहूस रहा, मंजर याद कर रो देंगे

साल 2021 का अंत आज हो जाएगा और नया साल नई उम्मीदें और नई आशाओं की किरणें लेकर आए, इसी उम्मीद में लोग साल 2022 का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन यदि इस बीते हुए साल की बात करें और इस साल से जुड़ी यादों के बारे में बैठकर सोचें तो साल 2021 हमें कुछ खट्टी मीठी यादें देकर गया। बता दे कि साल 2021 में कुछ अच्छा हुआ तो कुछ बहुत बुरा। हालांकि जिसने साल 2021 में लोगों के अंदर जिसने खौफ पैदा कर दिया था वह है कोरोना वायरस, भारत ने इस साल 100 करोड़ से अधिक का वैक्सीनेशन डोज पूरा कर लिया जिसके चलते कोरोना पर काफी हद तक नियंत्रण पाने का भी प्रयास किया लेकिन इस पूरे साल में एक महीना ऐसा था, जब कोरोना से शायद हर किसी को रुला दिया। इस भयानक संक्रमण की चपेट में आने वाले रोगी, उनके परिजन तो परेशान हुए ही, लेकिन इसकी साथ ही जिस तरह का दृश्य नजरों के सामने आया, उसे देख हर कोई परेशान हुआ। मई का महीना पूरे साल का सबसे मनहूस महीना रहा जिसमें भारत कोरोना केस के मामले में पीक पर रहा। तो चलिए जानते हैं मई क्यों रहा साल का सबसे मनहूस महीना।

बता दें कि कोरोना के नए मामलों और मौतों के आंकड़ों ने मई महीने में पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। मई 2021 में कोरोना वायरस से संक्रमित नए मामलों के बारे में बात की जाए तो देश में उस समय एक महीने में कोरोना के करीब 90.3 लाख नए मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि मई के आखिरी दिनों में कुछ राहत मिली लेकिन पूरे साल की तुलना में यह कोरोना का सबसे अधिक आंकड़ा रहा, मई 2021 भारत के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था। क्योंकि कोरोना की चपेट में आकर इस महीने में करीब एक लाख बीस हजार लोगों की मौत दर्ज की गई थी कई शहरों में श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में जगह तक नहीं मिली। श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए लंबी लंबी लाइनें देखने को मिली। इसके अलावा प्रशासन को कुछ जगहों पर श्मशान घाटों को टीन शेड से कवर करना पड़ा।

भारत ने इस साल कोरोना के चलते ऑक्सीजन की किल्लत को झेला। भारत में
ऑक्सीजन की मांग इतनी ज्यादा बढ़ गई कि केंद्र से लेकर राज्य सरकारों तक ने ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए बड़े कदम उठाए। आम लोग lऑक्सीजन की पूर्ति को लेकर सेंटर के सामने लंबी लंबी लाइनों पर खड़े मिले। वहीं अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई की आपूर्ति पर मुसीबत आ गई, हालांकि सरकार प्रशासन और अस्पतालों ने मिल कर महीने का अंत होते होते इस संकट से भी निजात पा लिया।

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