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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने शाहजहां के सबसे प्रिय बेगम मुमताज के लिए बनाया गया हमाम(स्नानगृह ) को खोज निकाला यह पिछले सवा सौ साल से जमीन में दवा हुआ था यह मुमताज महल की दाहिनी 25 मीटर की दूरी पर है जमीन में करीब 12 फीट गहरा हमाम मिला है। इसकी चौड़ाई करीब 15 फीट और लंबाई 40 फीट के करीब है। इसमें गर्म और ठंडे पानी से नहाने के लिए अलग-अलग चैनल हैं। दोनों ओर से आने-जाने के रास्ते हैं। एएसआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया मुमताज महल के कारण लालकिला का यह भाग काफी संवेदनशील रहा होगा लोगो की आयने जाने की इजाजत नहीं थी

एएसआइ की जानकारी के मुताबिक बताया जा रहा है इसका सरक्षण किया जाएगा पुरातत्व के दस्तावेज में हमाम के प्रमाण डिजाइन को ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन अभीतक इसकी कोई ठोस जानकारी हासिल नहीं नहीं हुई हैआखिर यह हमाम सौ साल पहले किस तरह से डिजाइन किया गया होगा .
एएसआइ जानकारी देते हुए बताया मुमताज़ हमाम कई जमीन में दवे रहने से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है वह एक भाग में नहाने बैठने के लिए सिर्फ दो शीट ही बची हुई है दिवार से कीमती पत्थर निकल लिए गए छत को भी तोड़ दिया गया धरोहर को बचने में लगी संस्था विरासत क अध्यक्ष व अध्वक्ता लखविंदर सिंह ने बताया की 1857 में जब अंग्रेजो ने लाल किले पर कव्जा किया सम्भतः वह तोड़फोड़ की गयी होगी तभी हमाम से कीमती पत्थर निकल लिए गए थे दीवारों पर पत्थरो के निकले जाने निशान अब भी मौजूद है

पिछले कुछ समय लालकिला के मुमताज़ महल का सरक्षण कार्य जारी था जो की अब पूरा होने जा रहा है जानकारी के मुताबिक सारखं कार्य को ११२ साल के बाद पूरा किया जा रहा है इससे पहले 1907 में कार्य का शुरुआत की थी जो कि अधूरी ही रही इस महल 1919 से संग्रालय चल रहा था लेकिन अब 2018 उसमे ताला लगा दिया ,क्युकी उसी साररक्षण की योजना बन रही थी अब तेजी से इसका सरक्षण कार्य चल रहा था जोकीपुरा होने वाला है महल में जिन चीजों के प्रमाण मिले उन्हें उहने विरासती धरोहर के तौर पर सुरक्षित रख लिया गया है मुमताज़ महल लालकिला में दक्षिणी एवं पूर्वी कोने के भाग में स्थित है

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