बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत गर्म है। खेमेबाजी और बनते बिगड़ते सियासी रिश्तों के बीच सबसे बड़ी समस्या है कोरोना संकट। हालांकि इस समस्या से निपटने के लिए चुनाव आयोग ने बड़ी प्लानिंग भी की है। कोरोना संकट के बीच होने जा रहे इस दौर के सबसे बड़े चुनाव को लेकर कई गाइडलाइंस बनाई गई है। चुनाव आयोग के निर्देश पर वर्चुअल रैली पर जोर दिया जा रहा है। दूसरी तरफ सोशल मीडिया को भी प्रचार के लिए बड़े माध्यम के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। तमाम नेता सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात रख रहे हैं। और सोशल मीडिया के जरिए ही हो रहे हैं वार पलटवार।
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट के जरिए ही जेडीयू-बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया है कि ‘अगर बिहार और देश को महिला, दलित और अल्पसंख्यक पर अत्याचारों से बचाना है, अगर किसानों को अडानी, अंबानी से बचाना है, अगर युवाओं को नौकरियां दिलवानी है, अगर न्यायपालिका, इलेक्शन कमीशन, मीडिया को सुधारना है, अगर लोकतंत्र बचाना है, तो इसकी शुरुआत बिहार में भाजपा-जेडीयू की हार से होगी.’
अब प्रशांत भूषण के इस बयान पर सोशल मीडिया यूजर्स लगातार प्रतिक्रिया दे रहे हैं।कुछ लोग प्रशान्त भूषण से सहमत हैं तो कुछ उन्हें ट्रोल कर रहे हैं।
प्रशांत भूषण राजनीतिक मामलों पर खुलकर बयान देने के लिए जाने जाते हैं हालांकि कई बार वो अजीब बयान देते रहे है। कुछ दिनों पहले ही सुप्रीम कोर्ट की आपराधिक अवमानना का भी उनपर दोष साबित हुआ था। इसके लिए प्रशांत भूषण ने सजा के रूप में एक रुपए की राशि जमा की थी।
हालांकि, इस फैसले पर प्रशांत भूषण ने पुनर्विचार याचिका की बात की थी। प्रशान्त भूषण ने कहा था कि ‘देश में सच्चाई कोष बनाया जा रहा है। इससे सरकार के खिलाफ बोलने वालों को मदद पहुंचाई जाएगी।के मौकों पर वो सरकार के खिलाफ बोलते दिखे हैं।
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