अपने मुख्यमंत्री काल में गौतमबुद्ध नगर को सत्ता जाने के लिहाज से अपशकुन मान दूरी बनाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को चुनावी सीजन में जिले की याद आई है। बता दे कि अखिलेश यादव गठबंधन के साथी राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ प्रचार के लिए आज आ रहे हैं। इसके साथ ही उन्हें उम्मीद रहेगी कि जिले में सपा का खाता खुल जाएगा। तीन में से सिर्फ दो विधानसभा में प्रचार के लिए आने के कारण विभिन्न चर्चाओं का बाजार गर्म है। बता दे कि दस फरवरी को होने वाले मतदान की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है विभिन्न पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं का आना शुरू हो गया है। आज अखिलेश यादव व जयंत चौधरी चुनावी रथ पर सवार होकर आ रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक अखिलेश यादव जिले में अंतिम बार 2012 में विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए दनकौर आए थे। अपने मुख्यमंत्री काल में वह मानते थे कि सत्ता जाने के लिहाज से गौतमबुद्ध नगर अपशकुन है। जो यहां आता है छह माह में उसकी सत्ता चली जाती है। इसी वजह से उन्होंने अपने कार्यकाल में गौतमबुद्ध नगर में शुरू योजनाओं का लोकार्पण लखनऊ से ही कर दिया था। वही योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने पर गौतमबुद्ध नगर में लगभग दस बार आकर अखिलेश यादव के भ्रम को तोड़ा था। जिसकी काफी चर्चाएं भी हुई।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2022 में सपा व रालोद के बीच गठबंधन हुआ है। जिले में विधानसभा की तीन सीटें हैं। नोएडा व दादरी सीट सपा व जेवर रालोद के खाते में गई है। वही जिले में आ रहे अखिलेश यादव पार्टी को मिली सीट दादरी व नोएडा में जाएंगे, लेकिन जेवर में नहीं। ऐसे में सपा, रालोद के साथ ही दूसरी पार्टी के नेताओं में विभिन्न चर्चाएं हो रही हैं। गौतमबुद्ध नगर में सपा का जीत का खाता आज तक नहीं खुला है। अब देखना यह है कि प्रचार के लिए आ रही अखिलेश व जयंत की जोड़ी को इस चुनाव में सफलता मिलती है या न नहीं।