आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच नागोर्नो-कारबाख को लेकर दशकों पुराना सीमा विवाद एक बार फिर भड़क गया है और इसने युद्ध की शक्ल ले ली है. दोनों तरफ़ से गोलीबारी, बमबारी और आरोप-प्रत्यारोप जारी है. UNO ने अपनी स्थिति स्पष्ट करने की जगह गहरी नींद में जाना ही ठीक समझा।
मध्य एसिया के दो छोटे लेकिन भारतीय हितों के लिए महत्वपूर्ण देशों के बीच सीमा विव्वाद ने अब विभत्स रूप ले लिया है। स्थिति की गंभीरता इसी बात से लगायी जा सकती है कि दो अन्य देश टर्की और पाकिस्तान भी इसमें कूद चुके हैं और अज़रबैजान को ना केवल हथियार मुहैया करवा रहे हैं बल्कि पाकिस्तान ने अपनी सेना भी रवाना करने की बात कही है। इसे लेकर अब दुनिया भर के देशों की प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं. पाकिस्तान, ईरान और तुर्की ने खुलकर अज़रबैजान का समर्थन किया है लेकिन भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में हालात पर चिंता जताते हुए शांति और बातचीत से ही मसले को हल करने पर जोर दिया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने अपनी प्रेस ब्रीफ़िंग में कहा, “हम आर्मीनिया-अज़रबैजान की सीमा पर नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र में फिर से तनाव की रिपोर्ट मिलती दिख रहे हैं जिसकी 27 सितंबर को तड़के ही शुरुआत हो गई थी.”
हालाँकि तुर्की और पाकिस्तान ने खुले तौर पर अज़रबैजान का साथ देने की बात कही है। इस पर भारत ने आधिकारिक तौर पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है.
यह भी पढ़ें: बीजेपी का चिराग को साफ संदेश, ऐसा किया तो अच्छा नहीं होगा
यह भी पढ़ें: चिराग का ओपन लेटर: नीतीश को वोट दिया तो पलायन को होंगे मजबूर
यह भी पढ़ें: नीतीश कुमार की मुश्किल बढ़ाने के लिए चिराग पासवान ने किया ये काम।