बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही प्रदेश में सियासी उठापटक खासी तेज हो चुकी है। एक अक्टूबर को पहले चरण की अधिसूचना भी चुनाव आयोग की ओर से जारी करने की तैयारी हो चुकी है। चुनाव इतना नजदीक आ चुके हैं लेकिन अभी तक दोनों ही तरफ के सियासी दलों में चुनाव लड़ने की रणनीति पूरी तरह से साफ नहीं हो सकी है। बिहार के दोनों बड़े गठबंधनों NDA और महागठबंधन में सियासी खींचतान लगातार चल रही है। सीट बंटवारे के समीकरण को लेकर दोनों ही तरफ मतभेद साफ देखे जा सकते हैं। दोनों ही गठबंधन में कौन-कौन सी पार्टी शामिल होंगी और बंटवारे में किसके हाथ कितनी सीट लगेंगी इसे लेकर भी पूरी तरह से स्थिति साफ नहीं हो सकी है। ऐसे में बिहार के चुनावी समीकरण को लेकर अभी रहस्य बना हुआ है। एक तरफ एनडीए में एलजेपी सीट बंटवारे को लेकर नाखुश दिख रही है और आज कोई ना कोई फैसला होना संभव है। वहीं महागठबंधन से उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी के अलग होने का औपचारिक ऐलान होना ही बाकी है। इसके बाद क्या समीकरण बनकर उभरते हैं ये देखने वाली बात होगी।
वहीं बिहार चुनाव से पहले बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में अगले कुछ दिनों में बड़ा बदलाव दिखाई देने की पूरी संभावना है। दरअसल पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी आने वाले कुछ दिनों में एनडीए का हिस्सा बन सकती है। आरएलएसपी के महागठबंधन से अलग होने के बाद ही ये कयास लगने शुरू हो गए थे।अंदरखाने की खबरों को मानें तो दोनों पक्षों के बीच बातचीत फाइनल हो चुकी हैं और जल्द ही किसी अहम फैसले पर मुहर लग सकती है।
आरएलएसपी के राष्ट्रीय महासचिव माधव आनंद भी कह चुके हैं कि एनडीए से बातचीत चल रही है। आरएलएसपी, एनडीए का एक स्वाभाविक पार्टनर है। एक-दो दिन में फैसला हो जाएगा।
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी चुनाव से पहले अपने किसी सहयोगी पार्टी को अलग नहीं होने देना चाहती है। ऐसे में संभावना प्रबल है कि आरएलएसपी को गठबंधन में शामिल करने के लिए बीजेपी भी कोई मौका नहीं जाने देगी।