विश्व व्यापार संगठन यानी डब्ल्यूटीओ ने बुधवार को सब्सिडी को लेकर अमेरिका और चीन के बीच जारी विवाद पर फैसला सुनाया। WTO ने कहा कि बीजिंग सालाना 64.5 करोड़ मूल्य के अमेरिकी सामानों के आयात पर शुल्क लगा सकता है। बता दें कि अमेरिका द्वारा 2008 से 2012 के बीच लगाए गए सब्सिडी विरोधी टैरिफ को चीन ने वर्ष 2012 में डब्ल्यूटीओ में चुनौती दी थी।
जानकारी के मुताबिक अमेरिका द्वारा उठाए गए कदम का असर सौर पैनल से लेकर स्टील वायर सहित 22 चीनी उत्पादों पर पड़ा था। वही अमेरिका ने तर्क दिया था कि डब्ल्यूटीओ के आसान नियमों से चीन को ना केवल मैन्युफैक्चरिंग वस्तुओं को सब्सिडी देने में स्वतंत्रता मिलती है बल्कि उसे दूसरे देशों में अपने सामान को डंप करने में भी मदद मिलती है। अमेरिका ने सुनवाई के दौरान विश्व व्यापार संगठन के उन नियमों में सुधार की आवश्यकता भी जताई थी, जिसे चीन ढाल के तौर पर इस्तेमाल करता है।
बता दे की डब्ल्यूटीओ के फैसले पर अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के प्रवक्ता एडम हाज ने निराशा जताई है। शुरुआत में चीन ने डब्ल्यूटीओ के तीन सदस्यीय पैनल के समक्ष 2.4 अरब डालर के सामान पर टैरिफ लगाने का अधिकार देने की मांग रखी थी।