भारत का रुख भारत के स्थाई प्रतिनिधि पीएस त्रिमूर्ति द्वारा यूएनएससी में चर्चा के दौरान संयुक्त राष्ट्र अफगानिस्तान पर विश्व समुदाय के सामने रखा गया। इस पर उनका कहना था कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए नहीं होना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि तालिबान ने प्रतिबद्धता जताई है कि वह आतंकवाद के लिए अफगान भूमि के उपयोग की अनुमति नहीं देगा, उम्मीद है कि इसका पालन होगा। पिछले महीने हमने देखा है कि किस तरह काबुल में आतंकी हमला हुआ, इसने अफगानिस्तान के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। इसलिए जरूरी है कि आतंकवाद रोकने को लेकर जो संकल्प जताया गया है उसका सम्मान किया जाए। जिस दौरान तिरुमूर्ति का कहना था कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल किसी देश को धमकाने, हमला करने, आतंकवादियों को पनाह देने, प्रशिक्षित करने के लिए या आतंकवादी गतिविधि की योजना बनाने और अपनी आय बढ़ाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
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इसके साथ ही उनका कहना था कि तालिबान के इस बयान पर भी ध्यान दिया गया है कि अफगान बिना किसी बाधा के विदेश यात्रा कर सकेंगे। हमें उम्मीद है कि इन प्रतिबद्धताओं का पालन किया जाएगा, जिसमें अफगानों और सभी विदेशी नागरिकों के अफगानिस्तान से सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से निकलना भी शामिल है।
इस मामले को लेकर आगे उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति अब भी बेहद नाजुक बनी हुई है। हम इस देश के पड़ोसी हैं और यहां के लोगों के दोस्त भी हैं। इसलिए ये हमारे लिए सीधे चिंता का विषय है। पिछले दशक में अफगानिस्तान ने जो पाया उसे बरकरार रखने की अनिश्चितताएं बहुत अधिक हैं। उन्होंने कहा कि, हम अफगान महिलाओं की आवाज को भी उठता हुआ देखना चाहते हैं।
वहीं अफगान के बच्चों को लेकर अपनी चिंता जताते हुए पीएस मूर्ति ने अपने भाषण में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की मांग की है। साथ ही मानवीय सहायता तत्काल प्रदान करने की मांग उठाई। आगे कहा कि भारत अफगानिस्तान में समावेशी व्यवस्था का आह्वान करता है जो अफगान समाज के सभी वर्गोंं का प्रतिनिधित्व करता है।