भारत की पहली अस्पताल ट्रेन (लाइफलाइन एक्सप्रेस) गुरुवार को मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर पहुंची. लाइफलाइन एक्सप्रेस अब तक भारत के दूरदराज इलाकों में लगभग 12 लाख रोगियों को इलाज की सुविधा दे चुकी है. जानकारी के लिए आपको बता दें कि 1991 में इस ट्रेन की शुरुआत की गई थी. इस ट्रेन का नाम लाइफलाइन एक्सप्रेस इसलिए रखा गया है क्योंकि यह चलता फिरता अस्पताल है.
लाइफलाइन एक्सप्रेस अब तक देश के 19 राज्यों की यात्रा कर चुकी है. यह 138 जिलों के 201 ग्रामीण स्थानों का दौरा किया है. इस दौरान यह 12 लाख मरीजों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करा चुके हैं. इसमें सर्जरी के 1.46 लाख मरीज भी शामिल है.
लाइफलाइन को कार्य में लाने के लिए पहले देश के ग्रामीण इलाकों और पिछड़े क्षेत्रों में मरीजों का एक खाका बनाया जाता है. फिर इस ट्रेन में इलाज के लिए एक तारीख दी जाती है. इसके बाद तय समय पर मरीजों का इलाज किया जाता है. इस ट्रेन में मरीजों की जांच से लेकर सर्जरी तक की जाती है.
सीएसआर, (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिब्लिटी) जैसी बड़ी कंपनियां इस कार्य में अपना योगदान देती हैं. इसके लिए मरीजों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता. इस ट्रेन ने भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ी है और प्रेरणा दी है. विकलांग व्यक्तियों और बच्चों को मौके पर ही उपचार देने के लिए ही लाइफलाइन एक्सप्रेस को शुरू किया गया है.
Mumbai: LifeLine Express, India's first hospital train, arrived at Chhatrapati Shivaji Maharaj Terminus yesterday & was inaugurated for its new set of trips. Lifeline Express has provided medical treatment to around 12 lakh patients in remote locations across the nation till now pic.twitter.com/pJdFhmrYMG
— ANI (@ANI) August 29, 2019
लाइफलाइन एक्सप्रेस की शुरुआत के लिए भारतीय रेलवे के पुराने पड़े डिब्बों को ठीक कराया गया और उन्हें अस्पताल में बदला गया. स्टैंड के एक प्रोजेक्ट पर 1 से 1.5 करोड रुपए का खर्च आता है. इसमें अगर सरकार चाहें तो मदद कर सकती है. शुरू में इस ट्रेन में आदिवासी इलाकों में लोगों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया जाता था लेकिन, अब प्लास्टिक सर्जरी, ईएनटी और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज किया जाता है.
Written by – Ashish kumar
https://youtu.be/ZQCsSesuxQQ