बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एलजेपी के अध्यक्ष चिराग पासवान के सियासी दांव से ऐसा बवाल खड़ा हुआ है जिसकी धमक पटना से लेकर दिल्ली तक सुनाई दे रही है। चिराग पासवान जेडीयू का विरोध करते हुए चुनाव से ठीक पहले एनडीए से अलग हो गए। हालांकि केंद्र में एलजेपी एनडीए के समर्थन में खड़े रहने की बात कर रही है और चिराग अभी भी पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह की तारीफ करते दिखते हैं। इसी बीच जेडीयू के कुछ नेताओं का मानना है कि बीजेपी इस पूरे विवाद की आड़ में खेल खेल रही है। इसी को लेकर अब जेडीयू की तरफ से मांग उठाई गई है कि केंद्र में भी एनडीए से एलजेपी को अलग किया जाए। साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी एलजेपी की हिस्सेदारी खत्म हो और आगे होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में एलजेपी को जगह नहीं मिलनी चाहिए।
सूत्रों से मिल रही खबर के मुताबिक जेडीयू की तरफ से सवाल उठाए गए हैं कि जब एलजेपी एनडीए का विरोध कर रही है तो कैसे राज्यसभा और केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। वहीं खबर है कि जेडीयू ने बीजेपी के सामने शर्त रखी है कि अगले लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान के खिलाफ उम्मीदवार उतारा जाए। दरअसल इन शर्तों के जरिए जेडीयू सुनिश्चित करना चाहती है कि कहीं बीजेपी इस पूरे प्रकरण में दोहरा खेल तो नहीं खेल रही है।
हालांकि बीजेपी के सीनियर नेता चिराग पासवान की रुख की आलोचना कर चुके हैं और एलजेपी-बीजेपी के बीच तल्खी साफ देखी जा सकती है। दूसरी तरफ पीएम नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की साझा रैलियों की तैयारी की जा रही है। लेकिन जेडीयू के एक धड़े का मानना है कि बीजेपी का एक गुट अभी भी पासवान का समर्थन कर रहा है और ये चीज जेडीयू को बिहार चुनाव में नुकसान पहुंचा सकती है।
दरअसल बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी एलजेपी को वोट कटवा पार्टी कह चुके हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी एलजेपी पर तीखा बयान दे चुके हैं। उधर इस पूरे मामले पर जेडीयू नेता केसी त्यागी का कहना है कि एलजेपी को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति पैदा हुई है लेकिन आने वाले वक्त में पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार की साझा रैलियों का बाद ये स्थिति साफ हो जाएगी।