काबुल. अमेरिकी सेना के पीछे हटने के साथ ही अफगानिस्तान पर तालिबान का शिकंजा मजबूत हो रहा है. अब तालिबान राजधानी काबुल तक पहुंच गया है, तालिबान के तेज हमलों के सामने देश की राजधानी काबुल को बिखेर कर रख दिया है.
तनावपूर्ण हालातों के बीच खबर आ रही है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
अफगान मीडिया के अनुसार अशरफ गनी की जगह अली अहमद जलाली को अंतरिम सरकार का नया प्रमुख बनाया गया है. जलाली जर्मनी में अफगानिस्तान के राजदूत रह चुके हैं. इससे पहले खबर आई थी कि तालिबान (Taliban in Kabul) राजधानी काबुल के दरवाजे तक पहुंच गया है. देश के कार्यकारी गृहमंत्री पहले ही बयान दे चुके हैं कि तालिबान को शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता सौंपी जाएगी जिसके बाद से सरकार गिरने की अटकलें लग रही थीं.
काबुल के बाहरी इलाकों में तालिबान ने किया प्रवेश
तालिबान ने राजधानी काबुल के बाहरी इलाकों में प्रवेश कर लिया है. दो दशक की लड़ाई के बाद अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटों बलों की संपूर्ण वापसी से पहले तालिबान देश पर हर ओर से कब्जा करता जा रहा है. सरकारी कार्यालयों से कर्मचारियों को रविवार सुबह अचानक ही घर भेज दिया गया और सेना के हेलीकॉप्टर आसमान में चक्कर लगाने लगे.
जलालाबाद पर भी तालिबान काबिज – अफगानिस्तान के प्रमुख शहर को भी तालिबानी चरमपंथियों ने अपने कब्जे मैं ले लिए है, काबुल के बाद जलालाबाद अफगानिस्तान का सबसे प्रमुख शहर है जो पाकिस्तान से जुड़ा है
राष्ट्रपति भवन मैं सरकार और तालिबानी समर्थकों के बीच हो रही बातचीत
तालिबानी सत्ता सौंपने पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रपति भवन गए. कार्यवाहक आंतरिक मंत्री अब्दुल सत्तार मिर्जाकवाल ने भी वीडियो मैसेज जारी करते हुए राजधानी की जनता से कहा कि काबुल पर हमला नहीं किया जाएगा और सत्ता सौंपने की प्रक्रिया शांतिपूर्ण होगी.
इसके अलावा कार्यवाहक रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह खान ने भी एक वीडियो मैसेज में जनता को आश्वस्त करने की कोशिश की.उन्होंने कहा “एक प्रतिनिधिमंडल को जरूरी अधिकार दिये गये हैं और वो अफगानिस्तान पर तालिबान के साथ एक समझौते पर पहुंचने के लिए कल दोहा (कतर) जा रहा है.मैं आपको काबुल की सुरक्षा के बारे में आश्वासन देता हूं.”
लोगों में दहशत, एयरपोर्ट पर भी कब्ज़ा
तालिबान के वादों और मंत्रियों के आश्वासन के बावजूद लोग दहशतमें हैं और देश छोड़ने के लिए बहुत से लोग काबुल एयरपोर्ट की तरफ जा रहे हैं. उनके लिए यह देश से बाहर जाने का अंतिम रास्ता है क्योंकि तालिबान अब लगभग काबुल में है. तालिबानी शरिया कानून का समर्थन करते हैं, अगर अफगानिस्तान पर फिर से तालिबान का कब्ज़ा होता है तो अफगानिस्तान मैं एक बार फिट आतंकियों का बोलबाला होगा जो भारत के लिए किसी भी लिहाज से उपयुक्त नहीं साथ ही अफगानी महिलायें कठोर यातनाएं सहने के लिए मजबूर हो जाएंगी!