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राष्ट्रीय जनता दल के युवा नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बीएसपी चीफ मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ आने के बाद से यह सवाल उठने लगे हैं कि पीएम मोदी यूपी के बनारस शहर से चुनाव लड़ेंगे भी या नहीं? उन्होंने कहा कि बिहार में कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा है। कांग्रेस आरजेडी की पुरानी सहयोगी दल रही है, कांग्रेस पार्टी जब-जब मुसीबत में रही है, तब-तब लालू प्रसाद यादव सोनिया गांधी के साथ खड़े रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के 2 दिवसीय दौरे से लौटने के बाद राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि बसपा चीफ मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के एक साथ आने के बाद पीएम मोदी द्वारा बनारस से चुनाव जीतना कुछ मुश्किल लग रहा है।
राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि मायावती और अखिलेश के एक साथ आने से लालू प्रसाद यादव के महागठबंधन की कल्पना साकार हुई है। सपा-बसपा का गठबंधन एक ऐतिहासिक कदम है। लोकतंत्र को बचाने के लिए दोनों का साथ आना बहुत जरूरी था। आने वाले कुछ ही समय में लोग मायावती और अखिलेश यादव के साथ आने के फैसले को सही मानेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वक्त के साथ ही लोगों को यह स्पष्ट हो जाएगा की मायावती और अखिलेश यादव का साथ आना राजनीतिक फायदे के लिए था ना की पीएम मोदी को रोकने के लिए।
बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ता सबसे बड़े जातिवादी लोग हैं। बिहार में आरजेडी कांग्रेस के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी। उन्होंने कहा कि हम तो लगातार कहेंगे कि सभी पार्टियां एकजुट होकर लड़ें। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा कांग्रेस से भी बड़ी पार्टी है। मायावती और अखिलेश यादव के साथ आने के बाद अब यह सवाल उठने लगे हैं कि मोदी बनारस से चुनाव लड़ेंगे भी या नहीं? उन्होंने कहा कि बिहार में कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा है। कांग्रेस आरजेडी की पुरानी सहयोगी दल रही है, कांग्रेस पार्टी जब कभी भी मुसीबत में रही है, तब-तब लालू प्रसाद यादव सोनिया गांधी के साथ खड़े रहे है।
तेजस्वी यादव ने कहा कि कांग्रेस को बिहार में महागठबंधन से बाहर करने का कोई भी विचार हमारे दिमाग में नहीं घूमता है। महागठबंधन में सीटों के तालमेल की घोषणा पत्रकारों के बीच होगी। देश के लिए आरजेडी समेत सभी दलों को कुर्बानी देनी पड़ेगी। आपको बता दें कि सपा और बसपा के बीच गठबंधन के ऐलान के बाद तेजस्वी यादव लखनऊ पहुंचे थे। उन्होंने बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती के पैर छूकर आशीर्वाद लिया था, साथ ही समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की थी।
आपके जानकारी के लिए बता दें कि 12 जनवरी को सपा-बसपा के बीच गठबंधन का ऐलान हुआ था। दोनों दलों ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है। दोनों दलों के बीच अमेठी और रायबरेली समेत 4 सीटों को छोड़ने पर सहमति बनी है। हालांकि, इस गठबंधन से कांग्रेस को बाहर रखा गया है। वहीं, कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अब उनकी पार्टी सूबे की सभी 80 सीटों पर जोरशोर से चुनाव लड़ेगी। इसके साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी कह चुके हैं कि कांग्रेस अपने आदर्शों पर चुनाव में उतरेगी और सभी को 2019 के होने वाले चुनाव में हैरान कर देगी।