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देश को जनवरी में मिल सकता है पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ

सेंट्रल डेस्क प्राची जैन:  देश को जनवरी में अपना पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) मिलना तय हो गया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के नेतृत्व वाली उच्च स्तरीय क्रियान्वयन समिति ने इस मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) को सौंप दी है। अब सीसीएस जल्द ही सेना के तीनों अंगों और सरकार को आपस में जोड़ने वाले सिंगल प्वाइंट की भूमिका वाले इस पद पर नियुक्त पाने वाले पहले अधिकारी का नाम तय करेगी।

सूत्रों के मुताबिक, डोभाल की अध्यक्षता वाली समिति ने सरकार से सीडीएस के पद पर नियुक्ति के लिए 64 साल की अधिकतम आयु सीमा तय करने की सिफारिश की है। साथ ही यह भी कहा है कि प्रोटोकॉल में सीडीएस के पद को सेना के तीनों अंगों के वर्तमान सर्वोच्च अधिकारियों से एक रैंक ऊपर और कैबिनेट सचिव से एक रैंक नीचे का रखा जाए। इस पद पर तैनात अधिकारी चार सितारों वाला जनरल होगा।

 


 

सरकार को अब भारतीय सेना के तीनों अंगों के चीफ और वरिष्ठ कमांडर-इन-चीफ रैंक के अधिकारियों में से सीडीएस के पद पर नियुक्त होने वाले पहले अधिकारी के नाम का चयन करना है। सूत्रों का कहना है कि प्रक्रिया के तहत सरकार ने रक्षा कर्मचारियों के सर्वोच्च प्रमुख के तौर पर इकलौते सीडीएस की नियुक्ति करने वाले प्राधिकारी की भी पहचान कर ली है। सूत्रों का कहना है कि सेना, नौसेना और भारतीय वायुसेना की तरफ से पहले रक्षा मंत्रालय को अपने सबसे वरिष्ठ कमांडरों के नाम भेज दिए गए हैं।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले पर झंडारोहण के दौरान अहम सैन्य सुधार के तौर पर तीनों सेनाओं के मुखिया के तौर पर सीडीएस की नियुक्ति करने की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री की घोषणा के कुछ ही दिन के अंदर एनएसए डोभाल के नेतृत्व में क्रियान्वयन समिति गठित कर दी गई थी, जिसे सीडीएस की जिम्मेदारियां और इस पद पर नियुक्ति के दिशा-निर्देश तय करने की जिम्मेदारी दी गई थी। सूत्रों का कहना है कि इस समिति ने अपने हिस्से का जमीनी कार्य पूरा कर लिया है और अगले तीन सप्ताह में दिशा-निर्देशों की फाइनल रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी।


 

जनरल रावत का दावा सबसे मजबूत

देश के पहले सीडीएस के तौर पर नियुक्त होने के लिए वर्तमान सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है। जनरल रावत अगले महीने 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और शीर्ष सरकारी सूत्रों का कहना है कि सरकार उन्हें पहला सीडीएस नियुक्त करने का निर्णय ले चुकी है।

क्यों अहम होगा सीडीएस का पद

सेना के तीनों अंगों में समन्वय बनाने और एक आदेश पर तीनों को सक्रिय करने के लिए 1999 के कारगिल युद्ध के बाद एक समिति ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद के सृजन की सिफारिश की थी। प्रधानमंत्री व रक्षा मंत्री को सुरक्षा व सामरिक मुद्दों पर सलाह देने के लिए तीनों सेनाओं के सर्वोच्च अधिकारी के तौर पर अकेले सलाहकार की भूमिका निभाएगा।

हालांकि उस समय सेना व वायु सेना ने इस व्यवस्था के पक्ष में हामी भर दी थी, लेकिन तत्कालीन नौसेना अध्यक्ष की आपत्ति के चलते सीडीएस की नियुक्ति का मामला खटाई में पड़ गया था। 2012 में नरेश चंद्रा टास्क फोर्स ने भी चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) के स्थायी अध्यक्ष के तौर पर सीडीएस की नियुक्ति की सिफारिश की थी।

 


 

फिलहाल अमेरिका, चीन, ब्रिटेन और जापान सहित दुनिया के कई देशों में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जैसी व्यवस्था है। इस पद के बनने पर सेना के तीनों अंगों के बीच किसी भी तरह की कार्रवाई के लिए आपसी संवादहीनता जैसी स्थिति नहीं होगी, जिससे उसकी मारक क्षमता और ज्यादा प्रभावी हो जाएगी।

अभी कैसे होता है समन्वय

कारगिल युद्ध के बाद बनी समिति की सिफारिश पर तत्कालीन नौसेना अध्यक्ष के ऐतराज को देखते हुए चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) गठित की गई थी, जिसका अध्यक्ष तीनों सेनाओं में सबसे वरिष्ठतम कमांडर बनता है। हालांकि यह पद तीनों सेनाओं में समन्वय बनाने के लिए गठित किया गया था, लेकिन इसके पास कोई अतिरिक्त शक्ति नहीं होती है। इसलिए यह महज रस्मी पद ही माना जाता है।

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