कोविड से ठीक हुए मरीजों में ब्लैक फंगस देखा जा रहा है।
यह दरअसल ईलाज के दौरान ही असावधानियों से उपजा फंगस है। जिसमें ऑक्सीजन का मास्क साफ नहीं रहना, गीला मास्क पहनना, स्टेरॉयड की ज्यादा मात्रा लेना है।
विशेषज्ञ की राय
ये बातें सदर अस्पताल की अधीक्षक डॉ सुधा झा कह रही थी। उन्होंने कहा कि यह भी एक फफूंद ही है। जैसे पांवरोटी को कुछ दिन छोड़ देने के बाद उसमें फफूंद उग आते हैं। हम अभी देख रहे हैं कि कोविड मरीज कम दिनों में ही स्टेरॉयड ले रहे हैं या उसकी मात्रा ज्यादा ले रहे हैं। ऐसे में उनको भी इस फंगस का खतरा ज्यादा रहता है। यह फंगस इंसुलिन के विपरीत काम करता है। जिससे मधुमेह के रोगियों में भी इस बात का खतरा बढ़ जाता है। वहीं यह फंगस वायरस को भी धोखा देता है कि हमारे शरीर में ग्लूकोज है और ग्लूकोज की मात्रा भी कम जाती है।
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डरने की जरुरत नहीं
डॉ सुधा झा कहती है कि हमें ब्लैक फंगस को लेकर पैनिक नहीं होना है। कोविड मरीजों में 90 प्रतिशत लोग ए सिम्टोमैटिक होते हैं। जिनमें ज्यादा खतरा नहीं होता है। खतरा उन्हें हैं जो ईलाज के दौरान असावधानी बरतते हैं। ब्लैक फंगस के लक्षणों को अनेदखा करते हैं। अगर ऑक्सीजन का मास्क, गीला मास्क और अपने ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें तो निश्चित ही ब्लैक फंगस से हम आसानी से निजात पा लेगें। एंटी फंगल दवा पहले से ही मौजूद है।
क्या हैं ब्लैक फंगस के लक्षण
डॉ सुधा झा कहती हैं ये एक फंगल डिजीज है। जो म्यूकॉरमाइकोसिस नाम के फंगाइल से होता है। ये ज्यादातर उन लोगों को होता है। जिन्हें पहले से कोई बीमारी हो या वो ऐसी मेडिसीन ले रहे हो या शरीर की दूसरी बीमारियों से लड़ने की ताकत कम करती हो। कोरोना से ठीक हुए उन लोगों में जिनको हाई शूगर है जिन्होंने कोरोना के ईलाज में हाई स्टेरॉयड लिया है। उन्हें इनसे सचेत रहने की आवश्यकता है। इसके लक्षणों में चेहरे का एक तरफ से सूज जाना,सिर दर्द होना, नाक बंद होना, उल्टी आना, बुखार आना, चेस्ट पेन होना, साइनस कंजेशन, मुंह के ऊपर हिस्से या नाक में काले घाव होना जो बहुत ही तेजी से गंभीर हो जाता है।