सिफलिस बीमारी बहुत ही घातक यौन संचारित रोगों में से एक है और यह बीमारी ट्रीपोनीमा पैलिडम नामक जीवाणु के कारण फैलता है इतना ही नहीं इस यौन संचारित रोग का मुख्य कारण संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाना है एक सर्वे के मुताबिक भारत में सलाना एक लाख लोग सिफलिस से ग्रसित होते हैं
यदि समय से इसका इलाज न कराया जाए तो यह हार्ट, ब्रेन और शरीर के दूसरे अंगों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है इसके साथ ही यह जानलेवा भी साबित हो सकता है. इस बीमारी में सिफलिस, टी पैलिडम नाम के बैक्टीरिया द्वारा फैलने वाला संक्रमण है बता दें कि इस बीमारी की शुरुआत त्वचा पर होने वाले दर्दरहित छालों के रूप में होती है. सिफलिटिक या दर्दरहित छाले जननांगों, मलाशय और यहां तक की होंठ और मुंह में भी हो सकते हैं
संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क में आने से यह बीमारी फैलती है, लेकिन कई बार यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के स्किन या श्लेष्म झिल्ली के संपर्क में आने पर भी स्वस्थ व्यक्ति को हस्तांतरित हो सकती है. हालांकि संक्रमित व्यक्ति द्वारा दरवाजे के हैंडल या मेज जैसी सतहों को छूने, टॉइलेट शेयर करने आदि से यह संक्रमण नहीं फैलता. ओरल, वजाइनल या ऐनल संबंधी यौन गतिविधियों के दौरान इस बीमारी के फैलने की संभावना ज्यादा होती है वही कुछ मामलों में यह किस करने पर भी फैल सकता है
यह बीमारी गर्भवती महिला से बच्चे में फैल सकती है
क्योंकि यह छाले दर्दरहित होते हैं जिसके चलते बहुत से लोगों का ध्यान इन छालों की तरफ नहीं जाता और कई बार ये छाले अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन यदि इलाज न किया जाए तो बैक्टीरिया शरीर में ही रह जाता है बता दे कि सिफलिस को डायग्नोज करना मुश्किल होता है क्योंकि कई बार व्यक्ति में सालों तक इस बीमारी के कोई लक्षण नजर नहीं आते, लेकिन वह इंफेक्शन का कैरियर होता है. यदि किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान सिफलिस हो जाए तो वह अपने होने वाले बच्चे को भी यह बीमारी संचारित कर सकती है, जिसके घातक परिणाम सामने आते हैं
आपको बता दें कि सिफलिस बीमारी के मुख्य रूप से 4 चरण होते हैं चारों में अलग-अलग और स्पष्ट लक्षण नजर आते हैं
इसके अलावा भी कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं जैसे- मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, सूजी हुई लसीका ग्रंथियां, वजन घटना, थकान, बाल झड़ना, मानसिक बीमारी, स्मरण शक्ति की क्षति, रीढ़ की हड्डी में होने वाला संक्रमण आदि