Written By : Amisha Gupta
प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक राम गोपाल वर्मा के खिलाफ आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से जुड़े एक विवादित बयान के कारण केस दर्ज किया गया है।
यह मामला वर्मा की फिल्म “व्योमगामी” से संबंधित है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर नायडू और उनकी पार्टी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणियां की हैं। आरोप है कि वर्मा ने फिल्म के प्रमोशन के दौरान कुछ ऐसे बयान दिए, जिन्हें नायडू और TDP समर्थकों ने आपत्तिजनक और अपमानजनक माना।चंद्रबाबू नायडू के समर्थकों का कहना है कि राम गोपाल वर्मा की फिल्म ने न केवल उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि उनके खिलाफ दुष्प्रचार भी किया है। इसी को लेकर TDP के एक कार्यकर्ता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि वर्मा के बयान और उनकी फिल्म में दिखाई गई बातें नायडू के प्रति जनमानस में गलत धारणा पैदा करने का उद्देश्य रखती हैं। पुलिस ने शिकायत की पुष्टि की और कहा कि मामले की जांच की जा रही है।
राम गोपाल वर्मा के बयान और फिल्म के कुछ हिस्सों को लेकर सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है।
वर्मा, जो अपनी बेबाक टिप्पणियों और विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं, ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, उन्होंने पहले भी अपने सोशल मीडिया पोस्ट्स के जरिए नायडू और उनकी पार्टी पर टिप्पणियां की हैं, जिससे यह मामला और भी गरमा गया है।विवाद के चलते राम गोपाल वर्मा के खिलाफ आंध्र प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। कई TDP समर्थकों ने मांग की है कि वर्मा अपनी विवादित टिप्पणियों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगें। इसके अलावा, फिल्म की रिलीज को रोकने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि इससे राजनीतिक माहौल में और अधिक तनाव न बढ़े।
पुलिस ने वर्मा पर लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक टीम गठित की है।
हालांकि, राम गोपाल वर्मा का कहना है कि उनकी फिल्म का उद्देश्य किसी की छवि को खराब करना नहीं है, बल्कि यह उनके विचारों को अभिव्यक्त करने का एक माध्यम है। वर्मा का तर्क है कि उनकी फिल्म एक काल्पनिक कहानी पर आधारित है, जिसमें किसी विशेष व्यक्ति या पार्टी पर निशाना साधने का कोई उद्देश्य नहीं है।इस मामले में कानूनी प्रक्रिया आगे कैसे बढ़ेगी, यह देखना बाकी है, लेकिन यह विवाद न केवल राम गोपाल वर्मा के लिए बल्कि आंध्र प्रदेश की राजनीति में भी हलचल पैदा कर सकता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए फिल्म इंडस्ट्री के कुछ लोग भी इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे से जोड़कर देख रहे हैं।यह मामला भारतीय सिनेमा और राजनीति के उस विवादास्पद पक्ष को भी उजागर करता है, जहां फिल्मों और उनके निर्माताओं पर राजनीतिक दबाव डाला जाता है।