अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को ढहाए गए विवादित ढांचे के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने 28 साल बाद फैसला सुना दिया है। विवादित ढांचा गिराने के मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। सीबीआई विशेष अदालत के जज एसके यादव ने फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों बरी कर दिया है। हालांकि आज कोर्ट में 32 में से 26 आरोपी फैसला सुनाए जाने के दौरान मौजूद रहे जबकि आडवाणी, जोशी, नृत्यगोपालदास, कल्याण सिंह समेत 6 लोग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट की कार्यवाही से जुड़े थे।
सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने क्या टिप्पणी की ?
फैसला सुनाते हुए विशेष सीबीआई कोर्ट के जज एसके यादव ने कहा कि घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। कोर्ट ने कहा कि घटना के प्रबल साक्ष्य नहीं है। आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए गए। वहीं कोर्ट ने टिप्पणी की है कि अशोक सिंघल, आडवाणी, जोशी ने भीड़ को रोकने की कोशिश की थी ऐसे में उनपर आरोप कैसे लग सकते हैं।
वहीं कोर्ट ने अखबारों को साक्ष्य नहीं माना। साथ ही वीडियो सबूतों को लेकर कोर्ट ने कहा कि वीडियो एविडेंस साफ नहीं थे और इनसे छेड़छाड़ की भी संभावना है। कोर्ट ने माना है कि सीबीआई के आरोपों को लेकर सबूत नहीं मिले हैं। कुछ अराजक तत्वों ने इस काम को अंजाम दिया था।
वहीं फैसले पर लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि ये बेहद अहम फैसला है और हम सबके लिए बेहद खुशी का दिन है।
वहीं राजनाथ सिंह ने कहा कि इस निर्णय से यह साबित हुआ है कि देर से ही सही मगर न्याय की जीत हुई है।
इसके अलावा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी फैसले पर खुशी जाहिर की है।