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आधी लड़ाई में जीत की गलतफहमी पाली तो खुशियां खराब हो जाएंगी, जानिए पीएम मोदी के संबोधन की 10 बड़ी बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश नाम अपने को संबोधन में कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर देशवासियों से संवाद किया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में देशवासियों को त्योहारों के मौसम में बचकर रहने की सलाह दी। पीएम मोदी ने कहा कि भले ही लॉकडाउन खत्म हो गया है लेकिन अभी कोरोना वायरस खत्म नहीं हुआ है इसलिए जरूरी है कि सावधानी बरती जाए। पीएम मोदी ने देश के लोगों से कहा कि जब तक इस वायरस के लिए वैक्सीन नहीं आ जाती तबतक कोरोना के खिलाफ देश की जंग को कमजोर नहीं होने देना है। उन्होंने कहा कि एक कठिन वक्त के दौर से निकलकर हम आगे बढ़ रहे हैं, थोड़ी सी लापरवाही हमारी सारी मेहनत ना सिर्फ खराब कर देगी बल्कि खुशियों को धूमिल कर सकती है।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कबीर के एक दोहे और रामचरित मानस की चौपाई  के जरिए समझाया कि हमें हमेशा सावधानी बरतनी है और कोरोना के खिलाफ सिर्फ आधी लड़ाई में ही खुद को जीता हुआ नहीं समझना है। पीएम मोदी ने साथ ही लापरवाही बरतने वाले लोगों को भी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि अगर आप लापरवाही कर रहे हैं,  बिना मास्क के घर बाहर जा रहे हैं, तो आप अपने आप को, अपने परिवार को एक बड़े संकट में डाल रहे हैं।

पीएम मोदी के संबोधन की खास बातें —-

1-हमें ये भूलना नहीं है कि लॉकडाउन भले चला गया हो, वायरस नहीं गया है।

2-पिछले 7-8 महीनों में हर देशवासी के प्रयास से जो स्थिति संभल रही है उसे बिगड़ने नहीं देना है।

3-सेवा परमो धर्म: के मंत्र पर चलकर हमारे डॉक्टर्स, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं।

4-ऐसी अहम कोशिशों के बीच ये लापरवाही बरतने का वक्त नहीं है।

5-अभी वो वक्त नहीं आया है जब हम मान सकें कि कि कोरोना चला गया, या फिर अब कोरोना से कोई खतरा नहीं।

6-कबीर के दोहे का उदाहरण देकर पीएम मोदी ने कहा कि-पक्की खेती देखि के, गरब किया किसान, अजहूं झोला बहुत है, घर आवे तब जान

इस दोहे का मतलब है कि कई बार हम पकी हुई फसल देखकर ही अति आत्मविश्वास से भर जाते हैं कि अब तो काम हो गया लेकिन जब तक फसल घर न आ जाए तब तक काम पूरा नहीं मानना चाहिए।

7-रामचरित मानस में बहुत शिक्षाप्रद बातें कही गई हैं इनमें से एक है- रिपु, रुज, पावक पाप प्रभु अहि गनिअ न छोट करि।

इसका मतलब शत्रु, रोग, अग्नि, पाप, स्वामी और सर्प को छोटा नहीं समझना चाहिए।

8-थोड़ी सी लापरवाही हमारी स्थिति को खऱाब कर सकती है।

9-जीवन की ज़िम्मेदारियों को निभाना और सतर्कता ये दोनों साथ साथ चलेंगे तभी जीवन में ख़ुशियां बनी रहेंगी।

10-लापरवाही बरतकर आप खुद को और अपने परिवार दोनों को खतरे में डाल रहे हैं।

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